अध्यापकों की ई अटेन्डेस: हाईकोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करे प्रशासन

भोपाल। शिक्षकों की स्मार्ट मोबाईल से उपस्थिति को लेकर हाल ही में हाईकोर्ट इन्दौर की डबल बैंच ने सुनवाई हुई जिसमें शिक्षक संगठनों की और से महाधिवक्ता श्री आनंद मोहन माथुर ने दलील दी की जब प्रथम सुनवाई के दौरान प्रशासन ने कोर्ट में हलफनामा देकर ई-उपस्थिति को ऐच्छिक बताया था।

उसके बाद भी कलेक्टर बडवानी, बुरहानपुर, सीईओ खरगोन, सहायक आयुक्त धार, ने इसे अनिवार्य बताकर वेतन काटने, सेवा समाप्ति की धमकिया आदेशों में दी है। साथ ही यह भी दलील दी की एक ही सरकार द्वारा अलग-अलग जिलों में अलग-अलग व्यवस्था दी जा रही है। इसके लिए शासन ने कोई नीति बनाई है या आदेश जारी किए है, एवं प्रशासन द्वारा लागू की जा रही इस व्यवस्था का आर्थिक भार शिक्षक संवर्ग पर क्यों ? माननीय न्यायालय द्वारा मांगे गए इन प्रश्नों के जवाब में कमिश्नर श्री संजय दुबे कोई उत्तर नहीं दे सके।

महाधिवक्ता की दलील एवं कमिश्नर की चुप्पी के बाद प्रदेश शासन को यह आदेश दिया कि बायोमेट्रिक सिस्टम या स्मार्ट फोन से उपस्थिति में शासन के लिए शासन के लिए कौन सी पद्धति सुलभ, उपयुक्त एवं उचित रहेगी। उसे कोर्ट को एक सप्ताह में बताये। तत्पश्चात कोर्ट द्वारा दोनों का परीक्षण करने के बाद यह निर्णय दिया जावेगा कि कौन सी पद्धति लागू की जावे। शिक्षक अध्यापक, व्याख्याता,प्राचार्य,संविदा शिक्षक संयुक्त मोर्चा के संभागीय संयोजक हरीष बोयत ,सह संयोजक व लछीराम इंगले  ने न्यायालय के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि हम कोर्ट के फैसले का पालन करेंगे।

शिक्षक संगठनो के संयुक्त मौर्चे की और से अरविदं रावल ने संभाग के समस्त जिलो के जिलाधीश महोदय एवं जिला प्रशासन के समस्त अधिकारीयो से निवेदन किया है कि जब तक माननीय न्यायालय ई अटेन्डेस व्यवस्था को लेकर अंतिम निणर्य नही दे देती हैं तब तक स्मार्ट फोन को लेकर शिक्षक सवर्ग पर अनावश्यक दबाव प्रशासन की और से नही बनाया जाये।

कुछ जिलो में प्रशासन द्वारा शिक्षको पर अनावश्यक दबाव बनाकर धमकाकर स्मार्ट फोन के लिये जबरन बाध्य किया जा रहा है जो सरासर माननीय न्यायालय की अवमानना है। हम शिक्षक सवर्ग की और से शासन और प्रशासन को यह विश्वासब दिलाते है कि माननीय न्यायालय का जो भी निणर्य होगा उसे संभाग का शिक्षक सवर्ग स्वीकारेगा। हम संभाग के समस्त जिला प्रशासन से निवेदन करते है कि शिक्षक सवर्ग पर र्दुभावनावश कोई कार्यवाही नही करे। 

अरविंद रावल ने साथ शिक्षक संवर्ग से अपील भी की है कि शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए समय पर स्कूल आना-जाना करे एवं अध्यापन कार्य सुचारू रूप से सम्पन्न करावे। हमारी लडाई किसी व्यक्ति से नही है व्यवस्था से है। माननीय मुख्यमंत्रीजी से भी स्मार्ट फोन के मुददे को लेकर शिक्षक सवर्ग का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही मुलाकात कर शिक्षक हित में कोई निणर्य लेने का निवेदन करेगा। अतः सभी जिलो के शिक्षक सवर्ग साथी प्रशासन के अधिकारीयो से यह निवेदन करे की जब तक माननीय न्यायालय का अंतिम निणर्य नही आ जाता तब तक शिक्षक सवर्ग को स्मार्ट फोन के लिये बाध्य न करे।

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