शिवराज सिंह ने उद्योगपतियों के यहां गिरवी रख दिया मध्यप्रदेश: कांग्रेस

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भोपाल। कांग्रेस की नियमित प्रेस ब्रिफिंग में आज उन 7 मेडीकल कॉलेजों का मामला उठाया गया जिसकी स्वीकृति के बाद सीएम ने नकार दिया था और रिलायंस के लिए सिफारिशी पत्र लिखने के मामले में सीएम को घेरते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने तो उद्योगपतियों के यहां पूरा मध्यप्रदेश ही गिरवी रख दिया है।

पढ़िए कांग्रेस की आज की प्रेस ब्रीफिंग, वो भी बिना मिलावट:-

पत्रकार बंधुओ,  मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी का शीर्षस्थ नेतृत्व लगातार झूठ को आधार बनाकर प्रजातंत्र को शर्मसार करने पर आमादा है। हाल ही में म.प्र. के मुख्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत सात चिकित्सा महाविद्यालयों के संदर्भ में म.प्र. की जनता के सम्मुख यह झूठ परोसने की कोशिश की गई कि कांगे्रसनीत यूपीए सरकार ने म.प्र. में चिकित्सा महाविद्यालयों की स्वीकृति प्रदान नहीं की है। 

हाल ही में रिलायंस समूह हो 29 हजार करोड़ रूपये के लाभ पहुंचाने वाले संदर्भित समाचार पर भी यह कहा कि मुख्य मंत्रीजी ने रिलायंस को लाभ पहुचांने के लिए कोई पत्र नहीं लिखा, जबकि म.प्र. के मुख्य मंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान ने 2 नवम्बर 2007 को भारत के प्रधान मंत्री डाॅ. मनमोहनसिंह जी को  400 मेगावाट के सीधी जिले के चितरंगी तहसील में कोल सप्लाई के लिए पत्र लिखा।

इतना ही नहीं जब प्रधान मंत्री मनमोहनसिंहजी ने कोयले की खदानों के काम्पीटीटिव बिडिंग के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने का मानस बनाया तो 11 अप्रैल 2005 को राजस्थान की तत्कालीन मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने माईंस एंड मिनरल्स डेव्लप्पमेंट एक्ट 1957 का हवाला देते हुए इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की और कहा कि इस एक्ट के सेक्शन-51 लीज करने का अधिकार राज्य सरकारों को है। अतः काम्पीटीटिव बिडिंग की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती है। उन्होंने सरकारिया कमीशन की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए अर्थात सही मायने में भाजपा शासित मुख्य मंत्रियों ने ही अपने हितों को साधने के लिए कोयला खदानों की नीलामी पर रोक लगवाई।

औद्योगिक घरानों के पास गिरवी रखा मप्र

ऐसा प्रतीत होता है कि म.प्र.को भाजपा सरकार ने कुछ व्यावसायिक घरानों के पास गिरवी रखने का मानस बना लिया है। बीते दिनों 31 जनवरी 2014 को म.प्र. के मुख्य मंत्री  श्री शिवराजसिंह चैहान ने रिलायंस समूह के श्री अनिल अंबानी से भंेट कर मीडिया में यह प्रचारित किया कि अंबानी समूह म.प्र. में 50 हजार करोड़ रूपये निवेश करने जा रहा है, इसलिए श्री अंबानी ने इन प्रस्तावों को लेकर मुख्य मंत्रीजी से उनके निवास पर भेंट की। 

इस निवेश में यह बताया गया कि कोयला खदानों के लिए सीमेंट फैक्ट्ररी और विभिन्न येाजनाओं के लिए रिलायंस द्वारा निवेश किया जा रहा है, जबकि इसकी सच्चाई यह है कि म.प्र. में इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर 26, 27 अक्टूबर 2007 को भी रिलायंस समूह द्वारा 50 हजार करोड़ रूपये इन्हीं प्रोजेक्ट के नाम पर निवेश करने का झांसा भाजपा सरकार द्वारा दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि भोपाल में टेक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना की जाएगी, जिसके तहत भोपाल की बेशकीमती 110 एकड़ भूमि का कब्जा भी रिलायंस समूह ने प्राप्त कर लिया था, मगर आज तक एक फूटी कौड़ी का भी काम रिलायंस समूह ने नहीं किया। इसी तरह सीधी जिले में एयर स्ट्रिप के लिए 70 हेक्टेयर भूमि और अन्य सुविधाएं प्राप्त की गई। मेगा पाॅवर प्रोजेक्ट, सीमेंट प्लांट इस तरीके की घोषणा से अखबारों में पहले भी सुर्खियां बटोरी गई, मगर जमीन हथियाने के अलावा रिलायंस समूह ने और कोई काम नहीं किया।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री श्री कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश कांगे्रस के प्रदेशाध्यक्ष श्री अरूण यादव के अथक प्रयासों से केंद्र की कांगे्रसनीत सरकार ने 4 मार्च 2014, 21 फरवरी 2014 और 19 फरवरी 2014, इन पत्रों के माध्यम से खंडवा, छिंदवाड़ा, रतलाम, शिवपुरी, शहडोल, विदिशा और दतिया में सात चिकित्सा महाविद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकार को अपने निर्णय से अवगत कराया। 

इतना ही नहीं 1323 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इन चिकित्सा संस्थानों की 75 प्रतिशत राशि भी केंद्र सरकार द्वारा व्यय की जाना है। म.प्र. के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा बतायें कि क्या रिलायंस समूह के दबाव के चलते इन चिकित्सा संस्थानों को वे खुलने नहीं देना चाहते ? क्या श्री अनिल अंबानी ने व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान उनसे रिलायंस समूह द्वारा अपने संस्थान खोलने का कोई मौखिक प्रस्ताव रखा है? जिसकी वजह से केंद्र सरकार द्वारा दी गई इतनी बड़ी सौगात को नकारने की तैयारी की जा रही है ?

म.प्र. कांगे्रस कमेटी इंवेस्टर्स मीट के नाम पर हड़पी गई किसानों और शासकीय भूमि को मुक्त कराने के लिए लोकसभा चुनाव के बाद भूमि मुक्ति आंदोलन प्रारंभ करेगी।

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