भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता द्वय जे.पी. धनोपिया और भूपेन्द्र गुप्ता ने आज मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत कर गुहार लगाई है कि राज्य की जिन स्वशासी संस्थाओं के 20 हजार से अधिक ठेका कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जा रहा है, उन्हें तत्काल हटाया जाए, क्योंकि ठेके पर उनकी सेवा की अवधि 31 मार्च 2014 को समाप्त हो चुकी है और अब सरकार चाहेगी तो उनकी सेवावृद्धि पर विचार करेगी।
स्पष्ट है कि ये ठेका कर्मचारी वर्तमान में राज्य शिक्षा केंद्र, एमपी काॅन जैसी स्वशासी संस्था के कर्मचारी नहीं हैं। इस स्थिति में वे राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित स्वशासी संस्था के कर्मचारी नहीं रह गए हैं।
कांगे्रस प्रवक्ताओं ने कहा है कि स्वशासी संस्थाओं में 31 मार्च 2014 तक काम पर रहे इन ठेका कर्मचारियों की पदेन हैसियत शून्य हो गई है। चुनाव प्रक्रिया में सरकारी और सरकार नियंत्रित संस्थाओं के कर्मचारियों को संलग्न किया जाता है। किसी भी व्यक्ति को निजी हैसियत में चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाता। ऐसी दशा में स्वशासी संस्थाओं के इन 20 हजार से अधिक भूतपूर्व ठेका कर्मचारियों से चुनाव संबंधी सरकारी कार्य लिया जाना हर दृष्टि से अवैध और अवांछनीय है।
कांगे्रस की ओर से श्री धनोपिया और श्री गुप्ता ने मुख्य चुनाव आयुक्त का ध्यान प्रदेश में ईवीएम मशीनों की गड़बड़ी की ओर भी आकर्षित किया है। प्रवक्ताओं ने आज दिल्ली भेजी अपनी शिकायत में मुख्य चुनाव आयुक्त से जानना चाहा है कि विगत विधान सभा चुनाव में 125 ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी स्वयं निर्वाचन आयोग ने स्वीकार की है, किंतु इसके बावजूद भी लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के चुनाव में मात्र 9 चुनाव क्षेत्रों में 150 ईवीएम मशीनों का बिगड़ना संदेह पैदा करता है। उमरिया, रीवा और सीधी जिले में जिन खराब ईवीएम मशीनों के बारे में शिकायत की गई थी, वे किन इंजीनियरों के माध्यम से ठीक करवायी गयी हैं और वे क्या ईसीआईएल के अधिकृत इंजीनियर हैं ? यह खबर चर्चा में है कि इन मशीनों का सुधार कार्य स्थानीय तकनीशियनों द्वारा करवाया गया है।