मानक अग्रवाल/भोपाल। कांग्रेस हमेशा से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यक्षमता, निष्ठा और पदेन गरिमा का सम्मान करती रही है। उसने म.प्र. में भी जब-जब उसकी सरकार रही प्रशासनिक अधिकारियों को पूरा सम्मान दिया और उन पर अधिकतम विश्वास भी किया, लेकिन भाजपा राज के पिछले 10 साल में कलेक्टर सहित सभी अधिकारियों को तरह-तरह से डरा-धमका-प्रलोभित कर उनको मनोबल के स्तर पर इतना अधिक कमजोर बना दिया गया है कि वे अपनी पदेन गरिमा और निष्ठा को भी तिलांजलि देते हुए दिखाई देने लगे हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा उच्च अधिकारियों की इस कमजोरी का भरपूर दोहन चुनावों के समय अपने फायदे के लिये करती रही है। यह ‘‘काला सच’’ अब खुलकर प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है।
सत्तारूढ़ भाजपा उच्च अधिकारियों की इस कमजोरी का भरपूर दोहन चुनावों के समय अपने फायदे के लिये करती रही है। यह ‘‘काला सच’’ अब खुलकर प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है।
पिछले दिनों चुनाव आयोग भाजपा की मदद करने वाले तीन कलेक्टरों को हटा चुका है। कांगे्रस की मांग के आधार पर चुनाव आयोग ने आज छिंदवाड़ा के कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी का भी अन्यत्र तबादला कर दिया है।
कलेक्टर, जो कि वर्तमान में निर्वाचन तंत्र के अंतर्गत जिला निर्वाचन अधिकारी के महत्वपूर्ण पद की जवाबदारी निभा रहे हैं, के इस तबादलों को लेकर मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान बहुत हायतोबा मचा रहे हैं और चुनाव आयोग की सार्वभौम सत्ता को चुनौती देने की मुद्रा दिखा रहे हैं। इस तरह वे एक अनाधिकार असंवैधानिक चेष्टा कर रहे हैं। वस्तुस्थिति यह है कि अब तक जो चार कलेक्टर कांग्रेस की शिकायत पर हटाये गए हैं, वे अपने पद की आड़ में भाजपा के एजेंट के बतौर काम कर रहे थे। इस बाबत पूरे सबूत भी चुनाव आयोग के पास मौजूद हैं।
शिवराजसिंह की तिलमिलाहट का मूल कारण यह रहा है कि जैसे-जैसे भाजपा के चहेते कलेक्टर हटाये जा रहे हैं-वैसे-वैसे भाजपा के मंसूबों पर पानी फिर रहा है और पूर्व चुनावों में आजमाया हुआा उसका ‘‘मैनेजमेंट’’ फेल होता दिखाई देने लगा है। दरअसल चुनाव आयोग की कार्रवाई से मतदान को गलत ढ़ंग से प्रभावित कर चुनाव नतीजों को अपने पक्ष में करने की भाजपा की गुप्त राणनीति अब धरी की धरी रह गई है।
कांग्रेस निष्पक्ष, निष्ठावान और अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार कलेक्टरों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का पूरा सम्मान करती है और उन्हें आश्वस्त करती है कि यदि वे वास्तव में ‘‘सही’’ हैं, तो उन पर कोई आंच नहीं आएगी, लेकिन जो कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी इन चार कलेक्टरों पर हुई कार्रवाही से सबक लेकर अपना पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं बदलेंगे, तो उनको बख्शा नहीं जाएगा। उनका भी वही हश्र होगा, जैसा झाबुआ, खंडवा, रतलाम और छिंदवाड़ा के कलेक्टरों का हुआ है।
लेखक श्री मानक अग्रवाल मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं।