पहली पारी में कोई कमाल नहीं दिखा पाए आईएएस राजीव दुबे

भोपाल। रतलाम कलेक्टर आईएएस राजीव दुबे को चुनाव आयोग ने बीते रोज हटा दिया। उनके खिलाफ कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी के नेताओं ने शिकायत की थी। इसके अलावा उनके कार्यकाल में आधा दर्जन से ज्यादा रिश्वतखोर कर्मचारी पकड़े गए। अधीनस्थ भी बेलगाम थे और राजीव दुबे कुछ नहीं कर पाए।

सनद रहे कि यह आईएएस राजीव दुबे की पहली पारी थी, लेकिन इसमें वो कोई कमाल नहीं दिखा पाए। चुनावों के इतर दूसरे मामलों में भी वो ढीले ढाले ही रहे। कर्मचारियों पर नियंत्रण तक नहीं कर पाए।

प्रेमचंद गुड्डू ने की थी शिकायत

विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता पर्ची के मुद्दे पर उज्जैन-आलोट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने इस संबंध में शिकायत की थी। चुनाव आयोग ने बुधवार को दुबे को हटा दिया। भाजपा ने भी इनकी शिकायत की थी। नए कलेक्टर डॉ. संजय गोयल शुक्रवार को ज्वाइन करेंगे। प्रेमचंद गुड्डू व राजीव दुबे के बीच 8 अक्टूबर 2012 को भी विवाद हुआ था। तब गुड्डू ने जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के आरोप लगाए थे। यह मामला संसद के साथ अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंचा था।

गुड्डू ने 27 मार्च को चुनाव आयोग से शिकायत की थी। मतदाता पर्ची बांटने में बीएलओ के साथ राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता रहते हैं। गुड्डू की शिकायत थी कि उनके द्वारा बताए कार्यकर्ताओं के अभी तक परिचय-पत्र ही नहीं बने हैं। विधानसभा चुनाव में भी ऐसा हुआ था और शासकीय बीएलओ ने सभी मतदाताओं तक पर्ची नहीं पहुंचाई थी।

इस कारण कई मतदाता समझे उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है और वे वोट नहीं दे पाए। गुड्डू ने बताया कलेक्टर इस बार भी ऐसा ही करना चाहते थे। इस कारण उन्होंने कार्यकर्ताओं के परिचय-पत्र नहीं बनाए। जबकि कार्यकर्ताओं की लिस्ट वे जनवरी में ही दे चुके थे।

भूरिया ने किया था प्रदर्शन, भाजपा की थी शिकायत

भाजपा के दिनेश पोरवाल ((निगम अध्यक्ष)) व विष्णु त्रिपाठी ((पूर्व आरडीए अध्यक्ष)) ने भी 11 मार्च को कलेक्टर की शिकायत चुनाव आयोग से की थी। 10 मार्च को रतलाम-झाबुआ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने कलेक्टोरेट में प्रदर्शन किया था। भाजपा नेताओं का आरोप था कि भूरिया ने कलेक्टर के सामने ही आचार संहिता का उल्लंघन किया। इसकी उन्होंने सीडी व फोटोग्राफ्स भी भेजे थे।

कमाल नहीं दिखा सकी दुबे की पहली कलेक्टरी

राजीव दुबे ने कलेक्टर का कार्यभार रतलाम जिले में पहली बार संभाला था। 13 जुलाई 2012 को वे आए थे। 21 महीने की पहली कलेक्टरी में वे कोई कमाल नहीं दिखा सके। बड़ी उपलब्धि के रूप में जिले में कोई बड़ी सौगात नजर नहीं आई। नुमाइंदों की मनमानी चरम पर रही। आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए। पर कलेक्टर कोई कसावट नहीं ला सके। जिला अस्पताल में बेटी के जन्म पर मां-बेटी के सम्मान की परंपरा जरूर कलेक्टर दुबे के कार्यकाल की उपलब्धि कही जा सकती है।

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