भोपाल। यह किसी गुप्तचर ऐजेंसी की सूचना नहीं बल्कि ज्योतिषीय आंकलन है। ग्रहों के राजा सूर्य ने अपनी राशि बदल ली है। मतदान की आखरी तारीख तक आसमान में कई ग्रह अपनी पोजीशन बदल रहे हैं, और इसका सीधा प्रभाव भारत की राजनीति पर दिखाई देगा।
सूर्य 14 अप्रैल को मेष में प्रवेश करेंगे और 14 मई तक रहेंगे. सूर्य रहू-केतु के अक्ष पर आ जायेंगे और शनि और मंगल की वक्र द्रष्टि उन पर पड़ेगी. गुरु की शुभ द्रष्टि का सर्वथा अभाव रहेगा.बुध 20 अप्रैल तक अपनी नीच राशी में भ्रमण करेगा. शनि राहू पर गुरु की द्रष्टि पड़ेगी किन्तु मंगल पर नहीं.
भारत की स्वतंत्रता कुंडली में अभी सूर्य की महादशा और केतु का अंतर चल रहा है जिसके बाद शुक्र का अन्तर आएगा और दशा छिद्र प्रारंभ होगा. मतदान के कुछ चरण पूर्ण हो गए हैं और बहुत सारे बाकी हैं. सूर्य मेष में केतु, शुक्र और अपने ही नक्षत्र में भ्रमण करेगा. सूर्य ग्रहों के राजा हैं और मेदिनी ज्योतिष में सूर्य राजा, प्रधान मंत्री, मंत्री बड़े अफसर आदि का घातक होता है.
प्रथम भाव जनता का और देश की आम हालात का होता है और छठा भाव सेना, आतंकवाद, चिकित्सक और सम्बंधित सेवाओं का होता है. यह रोगों का भाव भी होता है. शुक्र भारत की कुंडली का लग्नेश है और छठे भाव का भी स्वामी है. दशम भाव राजा, प्रधानमन्त्री , राष्ट्रपति , संसद आदि का होता है और येह देश की प्रसिद्धि अवनति उन्नति मान सम्मान का भी होता है. सूर्य 27 अप्रैल तक केतु के नक्षत्र में और 10 मई तक शुक्र के नक्षत्र में रहेगा.केतु अभी मेष राशी में अपने ही नक्षत्र में है और सूर्य भी उसके नक्षत्र में आएगा. केतु से युति के कारण सूर्य के प्रभाव को केतु आत्मसात कर लेगा और सूर्य अधिक प्रभाव नहीं दिखा पायेगा. सूर्य भारत की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी है और मंगल द्वादश और सप्तम भाव का, दोनों ही भाव हानिकारक हैं. सप्तम स्थान मारक भाव भी होता है.
बुध जो अभी अपनी नीच राशी में चल रहा है, व्यक्ति की बुद्धि विवेक रफ़्तार और संवाद को दर्शाता है. हम देख ही रहे हैं की नेता लोग कैसे उल जुलूल भाषण दे रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं. यह क्रम चलता रहेगा. हमें अपने नेताओं की सोच और मंदबुद्धि पर शर्म आ रही है. सिर्फ चंद वोटों की खातिर पता नहीं क्या क्या बके जा रहे हैं. २७ अप्रैल को शुक्र अपनी उच्च राशि में आएगा और सीधे मंगल से द्रष्ट होगा. इसके आगे पीछे के २-३ दिन का घटनक्रम सुर्खियाँ ज़रूर बनना चहिये. बुध भी 20 अप्रैल को सूर्य केतु के साथ युति करेगा और नेता लोगों के जहर भरे भाषण और उग्र हो जायेंगे.
बड़े नेताओं के विरुद्ध षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सकता है, कुछ गुप्त घटनाएं समाचार पत्रों में आ सकती हैं जिससे और हलचल बढ़ेगी, 27 अप्रैल के बाद बड़े नेताओं को बहुत खतरा बढ़ जायेगा अतः यदि संभव हो तो उनको अपनी सभा और वायु यात्रा का विशेष ध्यान रखना चहिये. महिला उम्मीदवारों को भी दुर्घटना और अपमानजनक स्थितियों का शिकार होना पड़ सकता है. पत्रकारों पर भी जानलेवा हमले की घटनाएं हो सकती है अथवा उनको मानहानि का सामना करना पड़ सकता है.
मतदाता दिग्भ्रमित रहेगा और बजाय देश के लिए सही उम्मीदवार का चयन करने के वह अपनी भावनाओं के तहत मतदान कर सकता है. जिस कारण एक और बार देश में त्रिकोणीय प्रभुता उभरेगी और किसी भी दल को बहुमत नहीं रहेगा. सब चुनाव बाद की जोड़तोड़ में लग जायेंगे. जिन सज्जन को इस बार अधिकतम लोग देश के प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली में विराजमान देखना चाह रहे हैं उनको शायद पीछे हटना पड़ सकता है. बड़े अधिकारी भी फंस सकते हैं.
इस बार के चुनाव में उहापोह की स्थिति अधिक सामने आती दिख रही है और १-२ वर्ष बाद देश पुनः संसद के प्रतिनिधियों को चुनने के क्रम में जाता दिख रहा है.
ज्योतिषाचार्य रमन पिछले 10 वर्षों से ज्योतिष द्वारा जन साधारण की समस्याओं को सुलझाने का काम कर रहे हैं। वे मूलत: कंप्यूटर इंजिनियर हैं। श्री रमन बहुत समय से भारत की सबसे प्रसिद्द ज्योतिष वेब साईट www.astrosage.com, www.astrocamp.com पर अपनी सेवा अपलब्ध करा रहे हैं। ज्योतिषाचार्य श्री रमन यथार्थ ज्योतिषीय उपायों का सुझाव देते हैं।
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