भोपाल। डॉक्टरों को ओपीडी में रोजाना कम से कम 25 नए और 30 पुराने मरीजों को देखना होगा। साथ ही दो माइनर और दो मेजर ऑपरेशन करना होगा। अगर डॉक्टर यह लक्ष्य पूरा नहीं करेंगे, तो उनका प्रमोशन नहीं होगा और वेतन भी रोका जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश से डॉक्टर बेहद परेशान हैं।
हाल ही में जिले के 13 डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें बैरागढ़ के 9, बैरसिया के 3, काटजू अस्पताल का 1 डॉक्टर शामिल है। इसीवजह से डॉक्टर शासन आदेश का विरोध कर रहे हैं और स्वास्थ्य आयुक्त के समक्ष अपना विरोध भी जता चुके हैं।
हालांकि विभाग के अफसर इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही इस विषय में कोई बात की जाएगी। वहीं, मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय खरे आरोप लगा रहे हैं कि डॉक्टरों को बेवजह परेशान करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है।
उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की बागडोर गैर-तकनीकी अफसरों के हाथ में है। इसी वजह से ऐसे बेतुके आदेश जारी हो रहे हैं। मरीजों की जांच करना सरकारी फाइलें निपटाने जैसा काम नहीं है। डॉक्टर ऐसे आदेशों के नाम पर झुकने को तैयार नहीं हैं।
लक्ष्य व्यवहारिक नहीं
डॉ. खरे ने बताया कि काटजू अस्पताल में रोजाना 600-700 मरीज आते हैं। नियम के मुताबिक 60 से 65 मरीज भर्ती होना चाहिए, जबकि अस्पताल 30 बिस्तर का है। स्वास्थ्य विभाग ने कम से कम 5 प्रतिशत ऑपरेशन करने का लक्ष्य तय किया है। यह भी व्यवहारिक नहीं है।
इंदौर में 17 को नोटिस
इंदौर में जिला अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल, हुकुमचंद पॉली क्लीनिक के 17 डॉक्टरों को नोटिस जारी हुआ है। इनमें से कुछ को स्पष्टीकरण देने जबकि कुछ को वेतन रोकने का आदेश दिया गया है। यहां सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 30-40 फीसदी डॉक्टर ही लक्ष्य के मुताबिक काम कर रहे हैं।