पढ़िए क्या है सुषमा स्वराज की शिवपुरी से वापसी का असली सच!

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उपदेश अवस्थी/भोपाल। भाजपा की राष्ट्रीय नेता एवं लोकसभा में नेताप्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने आज सिंधिया के खिलाफ सभा लेने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया को अपमानित भी किया, लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्होंने ऐसा किया क्यों ?

मध्यप्रदेश की राजनीति के चक्के दोपहर बाद तेजी से घूम गए। भाजपा में ऐसा घटनाक्रम कतई अपेक्षित नहीं था। सुषमा स्वराज अपने तय कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ और भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया के समर्थन में सभा लेने शिवपुरी पहुंची, हेलीकॉप्टर से नीचे उतरीं और भाजपा प्रत्याशी को गलियाते हुए वापस लौट गईं। उन्होंने जयभान सिंह पवैया को अहंकारी तक कहा। साथ ही प्रचारित किया कि उन्हें रिसीव करने के लिए कोई नहीं आया।

सुषमा स्वराज ने ऐसा क्यों किया इससे पहले यह बताना जरूरी है कि मध्यप्रदेश में भाजपा के मिशन 29 में सबसे प्रमुख चुनौती गुना लोकसभा सीट ही है। यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया बतौर कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में हैं और भाजपा ने जयभान सिंह पवैया को उतारा है। चुनौती को भाजपा ने कितनी गंभीरता से लिया है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यहां की चुनावी सभाओं की शुरूआत नरेन्द्र मोदी ने की, स्वयं सीएम शिवराज सिंह चौहान यहां दर्जन भर सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। डेली फालोअप ले रहे हैं और किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

सुषमा स्वराज मध्यप्रदेश के विदिशा से लोकसभा के लिए प्रत्याशी हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है। दिग्विजय सिंह के ग्रहक्षेत्र का पड़ौसी लोकसभा क्षेत्र होने के कारण यहां कई कांग्रेसी सीधे उनसे जुड़े हुए हैं और लक्ष्मण सिंह को इसका लाभ मिल रहा है। इतना ही नहीं वोटर्स सुषमा स्वराज से नाराज हैं, उनकी उम्मीदों के अनुसार विकास नहीं हुआ, सुषमा स्वराज ने पूरी किताब छपवाकर बटवा दी अपने विकास कार्यों की लेकिन लोग संतुष्ट होने का नाम ही नहीं ले रहे। 2009 के चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने सुषमा स्वराज को जिताने की गारंटी ली थी, परंतु अब शिवराज सिंह चौहान का फोकस मध्यप्रदेश की कमजोर सीटों पर है, अत: सुषमा स्वराज को मदद मिलने की संभावना कम ही नजर आ रही है।

इसके इतर गुना लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव विदिशा लोकसभा पर अच्छा खासा माना जाता है। चूंकि मैदान में दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह हैं, अत: गुटबाजी के चलते भी सिंधिया समर्थक कांग्रेसी प्रत्याशी का प्रचार नहीं कर रहे हैं। सुषमा स्वराज के लिए यह बेहतर अवसर है। मेरा अपना नितांत व्यक्तिगत अनुमान है जो कई भाजपाई दिग्गजों से मेल खाता है कि सुषमा स्वराज ने विदिशा में सिंधिया से मदद की मांग की है। सबकुछ ठीक ठाक जा रहा था कि तभी भाजपा ने शिवपुरी में सुषमा स्वराज की सभा सुनिश्चित कर दी। गुना में सिंधिया की हालत भी पतली है अत: सुषमा जानतीं थीं कि उनकी सभा सिंधिया को नुक्सान पहुंचा देगी। अत: वो मौके की तलाश में थीं और हेलीपेड पर उन्हें वही मौका मिल गया। भाजपाई बताते हैं कि सुषमा स्वराज को रिसीव करने के लिए स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष वहां मौजूद थे परंतु सुषमा उखड़ गईं और बिना किसी की बात सुने वापस लौट गईं।

कुल मिलाकर सिंधिया से विदिशा में मिल रही मदद के बदले सुषमा स्वराज ने शिवपुरी में उनकी मदद कर दी। अब ये तो हाईप्रोफाइल फिक्सिंग के भैया, इसमें पार्टियों की दीवारें कहां रह जातीं हैं।

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