भोपाल। भारत की लोकसभा में विपक्ष की नेता एवं विदिशा से लोकसभा प्रत्याशी सुषमा स्वराज के बारे में कम से कम मध्यप्रदेश के मतदाता तो नहीं जानते होंगे कि वो अपने गृहक्षेत्र से कभी चुनाव नहीं जीत पाईं। अंतत: उन्हे हरियाणा छोड़ना पड़ा तब कहीं जाकर राजनीति की लुटिया चमकी।
सुषमा स्वराज हरियाणा की रहने वालीं हैं। हरियाणा का एक वर्ग अब सुषमा स्वराज पर गर्व करता है परंतु ठेठ हरियाणवी आज भी चटखासे लेकर सुषमा स्वराज की कहानी सुनाते हैं।
सुषमा स्वराज ने हरियाणा में करनाल लोकसभा सीट से 3 बार वर्ष 1980,1984,1989 में चुनाव लड़े लेकिन हर बार हरियाणा विधानसभा के मौजूदा स्पीकर कुलदीप शर्मा के पिता चिरंजी लाल शर्मा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद स्वराज ने हरियाणा को अलविदा कह दिया और दूसरे राज्यों से चुनाव लडऩा शुरू किया।
वर्ष 1990 में वे राज्य सभा के लिए चुनी गयीं। स्वराज 1996 में 11 वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में दक्षिण दिल्ली से जीतीं। इसके बाद वर्ष 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भी उन्होंने इसी लोकसभा सीट से जीत हासिल की। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केबिनेट मंत्री रहते उन्होंने पद छोड़ दिया और दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष 2000 में सुषमा स्वराज उत्तराखंड से राज्यसभा की सांसद चुनी गयीं। इसके बाद वर्ष 2006 में वे राज्यसभा के लिए फिर चुनी गयीं लेकिन मध्यप्रदेश से। वर्ष 2009 में सुषमा स्वराज मध्यप्रदेश की विदिशा सीट से लोकसभा के लिए चुनी गयीं और इस बार के चुनाव में भी उन्होंने इसी सीट को चुना है।