भोपाल। ‘हमारा बेटा अब स्कूल जाने से डरने लगा है। उसने बताया कि स्कूल में बच्चों को सजा देने के लिए अलग से कमरा बनाया गया है। कमरे में बच्चों को बंद कर उनकी पिटाई की जाती है।’ यह शिकायत मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग में की है, खजूरी कला स्थित एमजीएम स्कूल में पढऩे वाले छात्र के अभिभावक ने।
इस मामले में जब बाल आयोग के सामने स्कूल के प्राचार्य ने सजा के बतौर कमरे में बच्चों को भेजने की बात स्वीकार की है। इस पर बाल आयोग ने प्राचार्य को जमकर फटकार लगाई। आयोग में हुई सुनवाई में आठ स्कूलों के खिलाफ बच्चों को प्रताडि़त किए जाने की शिकायतें पहुंची। इसमें सेंट जोसफ कोएड स्कूल की सहयोगी संस्थान देवमाता विद्या आश्रम, एम्बिएंट हाई इंग्लिश स्कूल,विक्रम प्राइमरी सहित अन्य स्कूल शामिल है।
बाल आयोग में अभिभावक जेआर सोनवने ने बताया कि उनका बेटा एमजीएम स्कूल में पढ़ता है। स्कूल फीस देने में लेट होने की वजह से उनके बेटे को प्रताडि़त किया गया। उसे अलग कमरे में बंद कर दिया गया था। शिकायत करने पर फादर ने उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हुए सिक्युरिटी गार्ड को बुलवाकर स्कूल से धक्के मारकर निकाल दिया। इस पर आयोग ने प्राचार्य से पूछताछ की तो प्राचार्य ने बताया कि बच्चे को सजा तो दी गई थी, लेकिन मारपीट नहीं की गई।
आयोग ने प्राचार्य को निर्देश दिए कि फीस के संबंध में स्कूल प्रबंधन केवल अभिभावकों से बात करें। आयोग ने हिदायत दी कि ऐसी शिकायत मिलने पर आयोग स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए शासन से सिफारिश करेगा। मामले की सुनवाई आयोग की अध्यक्ष उषा चतुर्वेदी सदस्य विजया शुक्ला और आशा यादव ने की। आयोग में कुल 12 प्रकरणों की सुनवाई हुई। 8 मामले स्कूल में बच्चों को प्रताडि़त करने के थे।