हरिशंकर व्यास/नईदिल्ली। नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान एक-दूसरे के विलोम हैं। दोनों के व्यक्तित्व, अंदाज, कार्यशैली, राजनैतिक कौशल में बुनियादी फर्क है। शिवराज सिंह चौहान जैसे हैं वैसे ही उन्होंने राज किया है। हिसाब से उन्होंने कभी दिल्ली या राष्ट्रीय राजनीति की महत्वकांक्षा नहीं पाली। यह तो लालकृष्ण आडवाणी ने उनका बार-बार नाम लिया व सुषमा स्वराज ने उनका इस्तेमाल किया जो शिवराज सिंह को मोदी के कंट्रास्ट में उछाला गया।
पर बुनियादी तौर पर शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली नापसंद है। वे उन बिरले मुख्यमंत्रियों में से हैं जो दिल्ली आना ही पसंद नहीं करते। दिल्ली में युवा भाजपा से लेकर सांसद, महासचिव के पूरे वक्त वे लो प्रोफाइल रहे। कोई लॉबिग-राजनीति नहीं।
उस नाते अपना मानना है कि 16 मई के चुनाव नतीजों के बाद शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में कोई राजनैतिक रोल नहीं निभाएंगे। वे आडवाणी–सुषमा की तरफ न झांकेंगे और न कुछ करेंगे। कुछ जानकारों का मानना है कि शिवराज सिंह चौहान जैसे हैं उससे उनका प्रोफाइल अपने आप राष्ट्रीय बनना है।
16 मई के बाद अरविंद केजरीवाल का हल्ला यदि बढ़ता है तो उनके कंट्रास्ट में संघ-भाजपा में शिवराज सिंह चौहान या मनोहर पर्रिकर जैसे चेहरे हिट बनेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने जैसे राज किया है उससे यदि भाजपा का कोई अधिकृत आम आदमी नेता वाला चेहरा बनता है तो वह उनका बनता है। केजरीवाल और उनकी पार्टी यदि फ्लॉप होती है तो आम आदमी की राजनीति भी खत्म होगी। पर यदि आप पार्टी ने पूरे देश में अच्छे वोट लिए, राष्ट्रीय पार्टी बनी और राहुल गांधी क्लिक नहीं हुए तो केजरीवाल की आम आदमी की राजनीति में ऊफान आएगा।
ऐसे राजनैतिक सिनेरिया में शिवराज सिंह चौहान पर लोगों का ध्यान जाएगा। मतलब अरविंद केजरीवाल की आम आदमी राजनीति का भाजपा में कोई जवाब है तो वह शिवराज सिंह चौहान का है। दिक्कत यह है कि शिवराज सिंह चौहान लंबे कार्यकाल से मुख्यमंत्री होने के बावजूद अकेले हैं। उनमें वह क्षमता, योजना, महत्वकांक्षा नहीं है जो नरेंद्र मोदी की तरह दिल्ली की सोचते हुए लंबी प्लानिग कर सकें। बावजूद इसके हालातों में जैसे आडवाणी-सुषमा ने उन्हें अखिल भारतीय राजनीति का खिलाड़ी बनाया वैसे आगे भी बन सकते हैं। 16 मई 2014 को नतीजे कैसे आते हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर होना है।
पत्रकार श्री हरि शंकर व्यास भारत के प्रख्यात राजनैतिक पत्रकार हैं एवं नया इंडिया अखबार के संस्थापक हैं।