भोपाल। शिवराज सिंह और नरेन्द्र तोमर को इसके लिए ना जाने कितने पापड़ बेलने पड़े, सकून भरी बात यह है कि एंडिंग हेप्पी हो गई। कैलाश जोशी चुनाव ना लड़ने के लिए मान गए। इसकी आधिकारिक घोषणा वो कभी भी कर सकते हैं।
भोपाल लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी जता चुके मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का टिकिट काटना किसी के बस की बात नहीं थी। यदि वो खुद पीछे ना हटते तो उन्हें कोई हटा भी नहीं सकता था। ये बात खुद जोशी भी जानते थे और शिवराज भी। वो लगातार बीच का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे, जब कुछ ना सूझा और लिस्ट घोषित करने के वक्त आ गया तो शिवराज सिंह चौहान ने कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी को मोहरा बनाया व उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई कि वो अपने पिताजी को चुनाव ना लड़ने के लिए मनाएं।
बीजेपी की राजनीति में शुचिता का यह शेर शायद किसी और की बात मानता भी नहीं परंतु क्या करें, बेटा तो फिर बेटा ही होता है। अपने बेटे के करियर के लिए कैलाश जी ने समझौता कर ही लिया और सीएम हाउस तक संदेश पहुंचा दिया कि भोपाल लोकसभा सीट के लिए वो अपनी इच्छानुसार निर्णय के लिए स्वतंत्र हैं।
लेकिन सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं जोशी
कैलाश जोशी यूं तो भाजपा के वयोवृद्ध नेता हैं परंतु वो राजनीति में सक्रिय रहना चाहते हैं। रिटायरमेंट प्लान पर फिलहाल वो कोई विचार नहीं करना चाहते। उनका कहना है कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी जैसे नेता फ्रंटफुट पर हैं तो मैं तो अभी छोटा ही हूं।