भाजपा में आधा दर्जन सीटों पर खिलाफत के सुर

भोपाल। आडवाणी, जसवंत सिंह मुद्दे को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में शुरू हुई रार अब भोपाल तक आ पहुंची है। भोपाल सीट के प्रत्याशी चयन को लेकर गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने सीएम को खरी-खरी सुना दी है।

कई बार दल बदलने व चुनाव हारने वाले लक्ष्मीनारायण यादव के खिलाफ सागर में कई नेता मुखर हो रहे है तो सीधी के गोंविद मिश्रा व खजराहो के जितेंद्र सिंह बुंदेला मंचों से भी पूछने लगे है कि हमारी टिकिटें क्यों काटी गई है। मंदसौर से आश्वासन के बाद भी टिकिट से वंचित रघुनंदन शर्मा का दर्द रह-रहकर झलक रहा है। सत्ता की हैट्रिक दिलाने वाले शिवराज सिंह चौहान और उनकी त्रिमूर्ति के सामने इन सबको साधना एक बड़ी चुनौती है।

संजर को टिकिट देने से पहले हमसे क्यों नहीं पूछा

जिनकी (विधायकों) डोली में सांसद को दिल्ली जाना है उनसे उम्मीदवार के टिकट को लेकर कोई राय नहीं ली गई। इन लफ्जों में गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने भोपाल लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रदेश कार्यालय में सोमवार को आयोजित चुनाव प्रबंधन की बैठक में अपनी नाराजगी व्यक्त की।

सूत्रों के अनुसार गौर ने भोपाल के लोकसभा प्रत्याशी की छवि जनता में नाकाफी करार दी। हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी लोकसभा प्रत्याशी आलोक संजर के बैरागढ़ स्थित संत की कुटिया जनसंपर्क की जानकारी न होने पर आपत्ति दर्ज कराई। ओम यादव भी भोपाल प्रत्याशी के चयन प्रक्रिया से खफा नजर आए। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामला आगे बढ़ चुके होने का हवाला देते हुए सभी को शांत कराकर बैठक संपन्न कराई।

जसवंत कोई बंधुआ मजदूर नहीं

बाबूलाल गौर ने जसवंत सिंह के मामले में कहा कि वह कोई बंधुआ मजदूर नहीं है। वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करके समझाने का प्रयास करना चाहिए था। जसवंत उन नेताओं में हैं जिन्होंने पार्टी को जीरो से हीरो बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

दो मंत्री और विधायक खफा

प्रदेश की राजधानी भोपाल की सीट शुरुआत से ही विवादित रही। सर्वप्रथम मौजूदा सांसद कैलाश जोशी चुनाव लड़ने की जिद पर अड़िग थे। बाद में उन्होंने मंत्री बेटे दीपक जोशी के कहने पर सीट सिर्फ राष्ट्रीय नेता लालकृष्ण आड़वानी के लिए छोड़ने पर सहमति जताई। आडवानी के गांधीनगर से लड़ने के निर्णय के बाद उनके विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें बुलाकर समझाने की काफी कोशिश की थी। जोशी ने मुख्यमंत्री के समक्ष किसी अन्य को टिकट देने पर पार्टी से इस्तीफे के साथ ही निर्दलीय चुनाव लड़ने की चेतवानी तक दे दी थी। हालांकि बाद में उन्होंने अपने पुराने राजनीतिक शिष्य आलोक संजर के नाम पर सहमति दर्ज करा दी। इधर, महापौर बहू कृष्णा गौर की लोस दावेदारी को लेकर गृहमंत्री बाबूलाल गौर दिल्ली पहुंच गए थे, जहां उन्हें लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन भी मिल गया था। त्रिमूर्ति की भोपाल उम्मीदवारी के लिए पहली पंसद जिलाध्यक्ष आलोक शर्मा थे, लेकिन भोपाल के पांच विधायकों के विरोध के चलते उम्मीदवारी आलोक संजर के खाते में चली गई। हालांकि संजर की उम्मीदवारी को लेकर भी दो मंत्री और विधायक खफा है। संजर के जनसंपर्क से विधायकों ने हाथ खींच रखे हैं।

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