संविदा शिक्षक भर्ती परीक्षा पास अभ्यर्थी: ना घर के रहे ना घाट के

भोपाल। वर्ष 2011-12 में आयोजित हुईं परीक्षाओं को पास करने वाले अभ्यर्थी यह मान बैठे थे कि उनकी नौकरी तो लग गई। अब वो संविदा शिक्षक बनेंगे, कड़ी मेहनत करेंगे, अच्छे परिणाम लाएंगे। भविष्य सुरक्षित कर लेंगे परंतु अब उनकी आखों के सामने अंधकार छा गया है।

परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कोई नई परीक्षा भी नहीं दी और पास होने के बावजूद हजारों अभ्यर्थियों को अभी तक नियुक्तियां तक नहीं मिलीं हैं। पढ़िए पीड़ितों का यह ईमेल:—

प्रति,
श्रीमान सम्पादक महोदय,
भोपाल समाचार डाॅट काॅम, भोपाल
विषय:- संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया हेतु।

महोदय,
उपरोक्त विषय में निवेदन है कि मैं और मेरे जैसे कई व्यापम पास डी.एड./बी.एड.  उत्र्तीण बेरोजगार युवक म.प्र. शासन की ओर आस लगाये बैठे थे कि हम भी योग्य, कुशल शिक्षक बन जायेगे पर शासन व कर्मचारियो की लेट लतीफी से बेचारे हजारो बेरोजगारो का भविष्य अंधकारमय हो गया है और बेरोजगार अब भी नही समझ पा रहे है कि क्या हम इतनी मेहनत और ईमानदारी से छात्रो को पढ़ाने वाले इस पुनीत कार्य को कर सकेगे के नही।

बेरोजगार युवक बेचारा शिक्षक बनने की आस में कोई दूसरा कार्य भी नहीं कर सका। एक तरफ तो 2011-12 की परीक्षा पास कीये हुऐ लाखो युवक युवतिया शिक्षक बनने का सपना संजोकर बैठे हुऐ थे। पर शासन ने ऐसा खेल खेला की ये लोग ना घर के रहे ना घाट के। मा. मुख्यमंत्री जी ने एक लाख शिक्षको के भर्ती करने की बात कही थी पर बात, बात ही होती है एक लाख की जगह 50 हजार भी नही भर सके शिक्षको के खाली पदो को। इस पर बार-बार लगने वाली आचार संहिता का फायदा भी शासन व लोक शिक्षण संचनालय के कर्मचारियो ने  उठाया और समय निकालते गये। जो शिक्षक बने भी है उसमें अन्य राज्यो के युवक-युवतियाँ भी ज्यादा संख्या मे शामिल है। इस पर भी कीसी का ध्यान नही है और 5000 रू महीने का वेतन लेने वाले को 500 से 10000 कि.मी. अपने घर से दूर भेजा गया है जब की हर जिले मे बहुत पद आज भी खाली है पर कौन सुने हमारी पीड़ा को।

हम तो बेचारे बेरोजगारी की मार झेलने वाले बेरोजगार है, ना तो हमारे माँ-बाप है, ना बीबी-बच्चे, ना पेट की आग, ना घर-बार।

महोदय इस प्रकार की भर्ती म.प्र. के इतिहास मे पहली बार हुई है जिसमे जो शिक्षक नही बना वो तो दुःखी है ही और जो बना वो भी खुश नही है ।

महोदय 26 जनवरी 2014  को मा. शिक्षामंत्री ने उज्जैन के पास एक गाँव मे कहा था कि मैं इस वर्ष 2014 मे 47 हजार शिक्षको की भर्ती करूगाँ पर यह भी समझ से परे है, कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी और संविदा भर्ती प्रभारी एस. बी. घोटे ने प्रेस नोेट मे कहा है कि 2011-12 की व्यापम अगस्त 2014 तक ही मान्य है इसके बाद नई प्रवेश परीक्षा से भर्ती की जावेगी।

अब कीसे सही माने हम बेरोजगार शिक्षा मंत्री जी को या मिस्टर घोटे को।
हम बेरोजगारो को सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिला है नौकरी तो मिली नही अभी एस. बी. घोटे ने 3800 वर्ग-1 के पदो का विज्ञापन निकालने की बात कही थी पर वो भी एक सफेद झूठ और वादा खिलाफी की है इस व्यक्ति ने महोदय। जब विज्ञापन निकालकर भर्ती नही करनी थी तो दैनिक भास्कर में अपने बयान वाली न्यूज क्यो दी और गलती से दे दी है तो खण्डन निकलवा देते।

महोदय लिखना तो बहुत कुछ है पर कोई फायदा नही है ऐसी सरकार और ऐसे झूठे वादे वाले घोटे साहब नही देखे हमने । इतने पात्र युवक है और  पद भी खाली परन्तु घोटे साहब नई व्यापम के चक्कर मे है ताकी और घोटाला हो सके।

धन्यवाद।
भवदीय
बेरोजगार मंच वर्ग 1,2,3 उत्तीर्ण (मप्र)
मो.नं.- 8269878984

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