भोपाल। चुनाव आचार संहिता लगने के बाद अधिकांश कर्मचारी संगठन मांगे पूरी नहीं होने से नाराज है, तो कुछ एक कर्मचारी संगठन सरकार द्वारा मांगों को पूरा करने से खुश भी है।
कर्मचारियों को केंद्रीय तिथि से चुनावी साल में मंहगाई भत्ता मिला, लेकिन त्रिस्तरीय समयमान वेतनमान नहीं मिलने से दुखी भी है। सबसे ज्यादा नाराज संविदा व दैवेभो कर्मचारी है।
प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठन 51 सूत्रीय मांगों को लेकर 17 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे थे। लेकिन एक दिन पूर्व सरकार के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित कर दी गई। कर्मचारियों को आश्वासन मिला था कि एक माह में सभी मांगों के संबंध में आदेश जारी हो जाएंगे। लेकिन आठ-दस मांगों के ही आदेश जारी हुए। दूसरी तरफ लिपिकों ने जुलाई में करीब 23 दिनों तक हड़ताल की थीं।
यह आंदोलन भी आश्वासन पर ही स्थगित हुआ है। लिपिकों की मांगो तो पूरी नहीं हुई, उल्टे उनका करीब एक माह का वेतन काट लिया गया। वन कर्मचारियों भी कई सालों से पुलिस के समान वेतनमान की मांग पर अड़े थे। उन्हें भी सरकार से निराशा हाथ लगी। संविदा व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, तो दस सालों में अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। प्रांतीय शासकीय शालेय प्राचार्य एवं व्याख्याता संघ ने तीन दिनों की हड़ताल के बाद सरकार के आश्वासन पर आंदोलन स्थगित किया था। इनकी मांगे अभी तक पूरी नहीं हुई। इसके अलावा डिप्लोमा इंजीनियरों ने पदोन्नति कोटा के लड़ाई लड़ी। लेकिन इनकी मांगे भी दबा दी गई।
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कर्मचारियों की यह मांगे नहीं हुई पूरी
लिपिकों की मांगों में हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश का पालन करते हुए लिपिकों की वेतन विसंगति दूर की जाए। लिपिकों को कम्प्यूटर भत्ता पांच सौ रुपए स्वीकृत किया जाए। लिपिकों को चिकित्सा भत्ता दिया जाए। 28 साल की सेवा पूरी होने पर तीसरा समयमान वेतनमान दिया जाना सहित अन्य थीं। व्याख्याता राज्य शिक्षा सेवा के प्रस्तावों में संशोधन। केंद्रीय वेतनमान लागू करने की मांग कर रहे थे। वन कर्मचारी पुलिस के समान वेतनमान। दैवेभो को छग की तर्ज पर स्थायी वेतनमान देने सहित अन्य थीं।
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कर्मचारियों की कई मांगे पूरी नहीं हुई है। जिससे उनमें नाराजगी है। लेकिन सरकार ने कर्मचारियों को दिया भी है। केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता मिलने की कर्मचारियों की जीत है।
सुधीर नायक, अध्यक्ष मंत्रालयीन कर्मचारी संगठन
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प्रदेश सरकार ने दस लाख कर्मचारियों के साथ धोखा व विश्वासघात किया है। कर्मचारियों की उम्मीद को सरकार ने पूरा नहीं किया।
अरूण द्विवेदी, अध्यक्ष मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
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कर्मचारियों की कुछ मांगे नौकरशाही के रवैये के कारण अटक गई। लेकिन पिछली सरकारों की अपेक्षा कर्मचारियों को ज्यादा मिला है।
जितेंद्र सिंह, अध्यक्ष मप्र राज्य कर्मचारी संघ
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सरकार ने निगम मंडलों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। कुछ निगम मंडलों में कर्मचारियों ने अपनी ताकत से मांग मनवा ली है। कई निगम मंडलों की मांगे तो वित्त विभाग के अड़ंगे के कारण पूरी नहीं हुई है।
अजय श्रीवास्तव, मप्र निगम मंडल अधिकारी-कर्मचारी महासंघ
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संविदा कर्मचारी दस सालों से नियमितिकरण की आस लगाए बैठे थे। लेकिन कुछ नहीं मिला। जल्द ही कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर आगामी निर्णय लिया जाएगा।
रमेश राठौर, अध्यक्ष मप्र संविदा कर्मचारी संघ
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निगम मंडल कर्मचारियों को सरकार से कुछ नहीं मिला। जल्द ही आगामी रणनीति तय की जाएगी।
अनिल बाजपेयी, प्रांताध्यक्ष सेमी गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन एमपी
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दैवेभो नियमितिकरण की मांगों को लेकर सरकार का सम्मान करते-करते थक गए। लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई। दैवेभो कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
आमोद तिवारी, प्रांताध्यक्ष मप्र वन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ