अनूपपुर। लगता है अनूपपुर जिले के अध्यापकों का दर्द कोई सुनने वाला नहीं है। गोपनीय रूप से मुख्यमंत्री से लेकर लोक शिक्षण संचालनालय तक को पत्र भेजा जुका है पर प्रशासन अध्यापकों के इस दर्द से बिल्कुल बेखबर है।
अपना नाम न छापने के अनुरोध के साथ अनूपपुर जिले के एक अध्यापक ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को भेजे पत्र में कहा है कि अनूपपुर जिले के अध्यापकों के वेतन निर्धारण में भारी विसंगति है। संबंधित डीडीओ अपने वरिष्ठ कार्यालय से मार्गदर्शन के नाम पर एक छोटा सा पत्र लिख देते हैं और फिर बेफिक्र होकर मनमाने तरीके से वेतन निर्धारण कर अध्यापकों को कम वेतन देते रहते हैं ।
ऐसा ही एक मामला अनूपपुर के निकट शा.उ.मा.वि में पदस्थ वरिष्ठ अध्यापक का है ।उनका वेतन निर्धारण इस प्रकार किया गया है -
4500+1900=6400मूलवेतन
जबकि इनका मूलवेतन होना चाहिए -(5000गुणा 1.62=8100)+1900=10000
आश्चर्य की बात यह है कि दोनों प्रकार के वेतन निर्धारण में से प्राप्त वेतन का अन्तर 6840 रुपए है फिर भी उक्त विद्यालय के डीडीओ गलत वेतन निर्धारण को जायज ठहरा रहे हैं ।यहीँ नहीं वे दूसरे डीडीओ द्वारा किए गए उचित वेतन निर्धारण को भी गलत ठहरा रहे हैं और उचित वेतन निर्धारण करने से अन्य डीडीओ को मना करते हैं ।उक्त डीडीओ का तर्क है कि 1/4/2013 के बाद संविलियन हुए अध्यापकों का वेतन निर्धारण वेतन बैण्ड के सीधे न्यूनतम (4500) में ग्रेड पे जोड़कर मूलवेतन निर्धारित होगा जो कि पूर्णतया गलत है ।
अंतरिम राहत की विसंगति में भी अनूपपुर जिला अव्वल
अनूपपुर जिले के ही कुछ डीडीओ 1/8/2013 के बाद संविलियन हुए अध्यापकों को अंतरिम राहत प्रदान नहीं कर रहे हैं । उनका तर्क होता है कि 1/8/2013 के बाद संविलियन हुए अध्यापकों को अंतरिम राहत की पात्रता नहीं है ।जबकि अंतरिम राहत के संबंधित आदेश में प्रारंभिक नियुक्ति से अंतरिम राहत देय है ।
उक्त विसंगतियों से प्रभावित अध्यापकों को माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रशासकों से अब भी न्याय की उम्मीद है ।