उपदेश अवस्थी/भोपाल। आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत भोपाल आ गए हैं। यहां तीन दिनी भागवत कथा का आयोजन होगा। भाजपा सहित तमाम संघीय संगठनों के नेताओं की मीटिंग होगी। ऐजेंडा साफ है लोकसभा चुनाव। इस दौरान भागवत सीएम शिवराज सिंह से अकेले में मुलाकात करेंगे।
अकेले में मुलाकात के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। ये तो सभी जानते ही हैं कि शिवराज सिंह चौहान इस बार बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारकों में शामिल हो गए हैं। वो पीएम पोस्ट के लिए अल्टरनेट कैंडीडेट भी हैं, गठबंधन की सरकार बनीं तो शिवराज का उपयोग किया जाएगा, परंतु मोहन भागवत की शिवराज से पर्सनल मीटिंग इन विषयों पर नहीं होगी।
मैन टू मैन मीटिंग का केवल एक ही ऐजेंडा होगा और वो यह कि बाकी 27 सीटें तो निकाल लोगे लेकिन गुना में सिंधिया और छिंदवाड़ा में कमलनाथ को कैसे हराओगे।
सनद रहे कि गुना में सिंधिया के खिलाफ और छिंदवाड़ा में कमलनाथ के खिलाफ कोई दमदार कैंडीडेट नहीं मिल रहा है। गुना में सिंधिया के खिलाफ जयभान सिंह पवैया का नाम चलाया जा रहा है परंतु सभी जानते हैं कि पवैया में कितनी दम है।
एक वक्त था जब पवैया ने माधवराव सिंधिया को ग्वालियर से भागने पर मजबूर कर दिया था परंतु जब वो जीते और सांसद बने तो उनकी असलियत सबके सामने आ गई। ग्वालियर में पवैया तो श्रीमंत से भी बड़े श्रीमंत निकले। उनकी सामंतशाही ने पूरे ग्वालियर को परेशान कर दिया था। मालाओं के प्रति उनकी दीवानगी उन दिनों अखबारों की सुर्खियों में रही। वो मालाओं के इस कदर दीवाने थे कि यदि सुबह सुबह कोई दूसरा व्यक्ति उन्हे माला नहीं पहनाता तो वो बाजार से खरीदकर खुद ही माला पहन लिया करते थे। सांसद रहते उन्होंने ग्वालियर के लिए कुछ नहीं किया।
गुना/शिवपुरी लोकसभा सीट ग्वालियर की पड़ौसी सीट है और ग्वालियर से प्रभावित भी होती है अत: यहां पवैया की पोल आसानी से खुल जाएगी। इसलिए संघ का मानना है कि पवैया राइट कैंडीडेट नहीं हो सकते, बस नाम चलाने के लिए ही ठीक हैं।
इसके इतर छिंदवाड़ा में तो बीजेपी को कोई कागज का पहलवान भी नहीं मिल पाया है। यहां कमलनाथ की पकड़ मजबूत नहीं बल्कि पक्की से भी ज्यादा पक्की है। इतिहास गवाह है, भारत में कांग्रेस विरोधी लहर थी तब भी कमलनाथ चुनाव जीत गए थे। इस बार तो बात ही कुछ और है। कमलनाथ ने मंत्री रहते छिंदवाड़ा को सिेगापुर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे मध्यप्रदेश की नेशनल हाईवे का बजट छिंदवाड़ा के आसपास ही खर्च कर डाला। यहां कमलनाथ का मैन टू मैन और फेस टू फेस कनेक्शन है। उन्हे डोर टू डोर जाने की जरूरत ही नहीं है। हालात बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे पिछोर में केपी सिंह, गढ़ाकोटा में गोपाल भार्गव या इन्दौर में कैलाश विजयर्गीय के हैं। लोग सीधे कमलनाथ से जुड़े हुए हैं और कमलनाथ भी उनकी भरपूर मदद किया करते हैं।
यहां यह भी बता दें कि यदि छिंदवाडा का कोई व्यक्ति कमलनाथ से मिलने दिल्ली जाता है तो ना केवल उसे सुलभ रेल यातायात मिलता है, रिजर्वेशन में अतिरिक्त सुविधाएं मिलतीं हैं बल्कि आने जाने का किराया व भत्ता भी मिलता है।
अब ऐसे कमलनाथ को हराना कितना मुश्किल है यह तो मोहन भागवत भी जानते हैं। आखिर वो भी तो नागपुर से ही हैं।