नाव से पहले और चुनाव के करीब : दिल्ली दूर है

राकेश दुबे@प्रतिदिन। 2014 के चुनाव के नतीजों का अंदाज़ कांग्रेस को हो चला है, चुनाव के पहले के पैकेज सामने आ गये हैं और चुनाव के करीब क्या करना है,यह लगभग तय हो चुका है| लोकसभा के सत्रावसान के दौरान कांग्रेस ने और विशेषकर राहुल गाँधी जिन अध्यादेशों को लाकर चुनावी दौड़ में एक कदम आगे जाने मंसूबा बांधे थे वह अब स्थगित हो गया है| वैसे कांग्रेस अन्य उपाय इस दिशा में जरुर कर रही है|

कर्मचारियों के वेतन के बराबर महंगाई भत्ता [100 प्रतिशत] कर कर्मचारियों की सहानुभति हासिल करने का प्रयोग केंद्र सरकार ने जरुर किया है| इसका चुनावी नतीजों पर कितना असर होगा अभी कहना मुश्किल है, लेकिन आनेवाली सरकार के लिए जरुर एक मुसीबत है| जैसे नए वेतन आयोग का गठन| चुनाव के पहले की घोषणा का वैसे भी अर्थ लालीपाप ही माना  जा रहा है|

भ्रष्टाचार रोकने के लिए जो विधेयक संसद में नहीं रखे जा सके थे| वे आज फिर टाल दिए गये हैं| सरकार शायद चुनाव की घोषणा होने के पहले इन्हें लाकर कुछ समर्थन जुटाना चाहती है| गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे सहित कई वरिष्ठ मंत्री तो जीत की आशा पर प्रश्न चिन्ह लगाने लगे हैं| आज टाले गये विधेयकों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति :अत्याचार रोकथाम: संशोधन विधेयक, निशक्त लोगों के अधिकारों से जुडा विधेयक, सुरक्षा कानून संशोधन विधेयक और दिल्ली उच्च न्यायालय कानून संशोधन विधेयक भी एजेंडा में थे। इसका लाभ कुछ अगर होगा भी तो भी दिल्ली बहुत नजदीक नहीं होगी|

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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