पूर्वमंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, सुधीर शर्मा व अजय शंकर मेहता की गिरफ्तारी तय

रवीन्द्र जैन/भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होते ही सरकार के कामकाज ठप हो जाएंगे और एसटीएफ पुलिस का काम तेज हो जाएगा। एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनिज व्यवसायी व भाजपा नेता सुधीर शर्मा तथा सत्ता के गलियारों में रसूख रखने वाले मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष अजय शंकर मेहता को गिरफ्तार करने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार यह गिरफ्तारियां आचार संहिता लगते ही होने लगेंगी।

व्यापमं मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा का सबसे बड़ा दोष इस घोटाले के सबसे बड़े मास्टर माइंड पंकज त्रिवेदी की नियुक्ति को लेकर है। उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री रहते हुए लक्ष्मीकांत शर्मा ने व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक के पद पर पंकज त्रिवेदी को बैठाने के लिए नियम-कायदों को दरकिनार कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद पंकज त्रिवेदी, नितिन महेंद्रा एवं लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओपी शुक्ला के बयानों से भी यह उजागर हुआ है कि व्यापमं घोटाले में भारी राशि का लेन-देन लक्ष्मीकांत शर्मा के निवास पर हुआ है।

बताया जाता है कि इस मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा स्वयं को निर्दोष बता रहे हैं। उनका तर्क है कि अवैध भर्तियों को लेकर उनके हाथ से लिखा हुआ एक भी दस्तावेज आज तक एसटीएफ के पास नहीं है। केवल आरोपियों के बयान के आधार पर उन्हें आरोपी नहीं बनाया जा सकता। दूसरी ओर एसटीएफ के सूत्रों का कहना है कि लक्ष्मीकांत शर्मा और सुधीर शर्मा के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। बताया जाता है कि सरकार की ओर से भी एसटीएफ को संकेत दिए गए हैं कि प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद वे इन दिग्गजों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।

अजय मेहता पर भी शिकंजा

संस्कृत बोर्ड की परीक्षा में 680 फेल विद्यार्थियों को पास करने का चमत्कार करने वाले भाजपा नेता डॉ. अजयशंकर मेहता भी जल्दी ही गिरफ्तार हो सकते हैं। प्रदेश में भाजपा सरकार आने से पहले मेहता अपने अस्पताल के माध्यम से लोगों की सेवा करते थे। सेवा करते-करते वे भाजपा और संघ के नजदीक आ गए। सरकार ने उन्हें मप्र जन अभियान परिषद का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। मेहता एक प्रिंटिंग प्रेस का संचालन भी करते हैं। मेहता पर एसटीएफ का शिकंजा कसने की कहानी रोचक है। एसटीएफ को संस्कृत बोर्ड परीक्षा के घपले की जानकारी मिली तो उसने बोर्ड के तत्कालीन संचालक को गिरफ्तार करने का प्रयास किया। संचालक ने ही इस पूरे मामले का भंडाफोड़ किया है।

बोर्ड के तत्कालीन संचालक ने पिछली परीक्षा में यह पाया कि बोर्ड के 680 छात्र ऐसे हैं, जो फेल हो चुके हैं और उन्हें पास की मार्कशीट दी गई है। इस मामले में तत्कालीन संचालक ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से पूरे मामले की शिकायत करते हुए बताया कि बोर्ड ने परीक्षा परिणाम में 680 छात्रों को फेल घोषित कर दिया था और इसकी अंक तालिका मार्कशीट बनाने प्रेस को भेजी गई थी लेकिन प्रेस के संचालक ने छात्रों से मिलीभगत कर उनकी पास की मार्कशीट बनाकर भेज दी। खास बात यह है कि सरकार ने भी इस मामले को दबा दिया तो तत्कालीन संचालक ने स्वयं को बोर्ड से हटाकर अपने मूल विभाग में ट्रांसफर करा लिया। संस्कृत बोर्ड के इस घपले में एक ओर प्रिंटिंग प्रेस संचालक अजयशंकर मेहता जिम्मेदार हैं तो दूसरी ओर शासन के अधिकारी भी दोषी हैं। बताया जाता है कि अगले सप्ताह एसटीएफ अजयशंकर मेहता को गिरफ्तार कर सकती है।

श्री रवीन्द्र जैन राष्ट्रीय हिन्दी मेल के समूह संपादक हैं। 

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