भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा मिशन 29 लेकर चल रही है। पूरे मध्यप्रदेश से कांग्रेस के सफाए के मंसूबे बनाए गए हैं। तैयारियां भी ऐसी ही हो रहीं हैं परंतु 8 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी के पास ढंग का उम्मीदवार तक नहीं है।
आईये देखते हैं कौन कौन सी हैं वो 8 सीटें
छिंदवाड़ा : इस सीट पर भी कांग्रेस की मजबूत पकड़ है। कमलनाथ यहां से लगातार जीतते रहे हैं। यह सीट भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है। इस बार तो कमलनाथ ने छिंदवाड़ा को सिंगापुर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वोटर्स भी उन्हें थेंक्यू ही बोल रहे हैं। बीजेपी इस सीट पर सबसे ज्यादा संकट में है।
गुना : यह सिंधिया की सीट है। यहां पार्टी से फर्क नहीं पड़ता, बस प्रत्याशी के पीछे सिंधिया लगा होना चाहिए। सबसे पहले राजमाता सिंधिया ने बतौर जनसंघ प्रत्याशी यह सीट जीती, फिर माधवराव सिंधिया भी जनसंघ के टिकिट पर सांसद बने। फिर बीजेपी से राजमाता आईं, इसके बाद फिर माधवराव सिंधिया आए लेकिन कांग्रेस सेे और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, कांग्रेस से। लव्वोलुआब यह कि यहां पार्टी कोई भी हो, प्रत्याशी सिंधिया ही जीतता आया है। बीजेपी को तो यहां कोई केंडीडेट ही नहीं मिल रहा। उमा भारती और जयभान सिंह पवैया जैसे नेता इस सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं।
देवास : यह सीट भी भाजपा के लिए कटीली राह जैसी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता थावरचंद गहलोत को शिकस्त दी थी। इस सीट पर प्रत्याशी का चयन भाजपा के लिए मुश्किल बना हुआ है।
खंडवा : पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव ने भाजपा के नंद कुमार सिंह चौहान को इस सीट से हराया था। इस बार भी यहां तगड़ा मुकाबला है। आम आदमी पार्टी के आलोक अग्रवाल से भी भाजपा प्रत्याशी को टक्कर मिलेगी।
खजुराहो : इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के जितेंद्र सिंह बुंदेला ने चुनाव जीता था। फीडबैक में इस सीट की स्थिति भी मजबूत नहीं पाई गई। चर्चा है कि यहां से प्रत्याशी बदला जा सकता है।
खरगोन : यह कांग्रेस के वर्चस्व वाला क्षेत्र माना जाता है। पिछले आम चुनाव में कांग्रेस के माखन सिंह सोलंकी इस सीट से जीते थे। इस चुनाव में भी भाजपा को यहां से तगड़ी टक्कर मिलेगी।
मंदसौर : कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन यहां से सांसद हैं। यहां भी भाजपा की स्थिति कमजोर बताई गई है। मीनाक्षी युवा चेहरा हैं।
सतना : गोपनीय सूचनाएं आ रहीं हैं कि यहां बीजेपी को बीजेपी ही हराने वाली है। असंतोष अपने चरम पर है। प्रत्याशी कोई भी हो, भितरघात सुनिश्चित है और हार भी।