नई दिल्ली। चुनावी साल में केंद्रीय कर्मचारियों को लुभाने की खातिर केंद्र की यूपीए सरकार ने सातवें वेतन आयोग का गठन कर दिया है।
केंद्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों के नए वेतनमान तय करने के लिए गठित सातवें वेतन आयोग का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक माथुर को बनाया गया है।
प्रधानमंत्री ने न्यायाधीश माथुर के साथ आयोग के अन्य सदस्यों के नामों को मंजूरी दे दी है। जस्टिस माथुर आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के प्रमुख भी रह चुके हैं। तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव विवेक राय इसके पूर्णकालिक सदस्य होंगे, जबकि एनआईपीएफपी के निदेशक राथिन राय को अंशकालिक सदस्य बनाया गया है।
इसके अलावा व्यय विभाग में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) मीना अग्रवाल आयोग की सचिव होंगी। सरकार ने सितंबर 2013 में सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक माथुर अध्यक्ष बने
• विवेक राय, राथिन राय व मीना अग्रवाल भी आयोग में शामिल
• पीएम ने दी नामों पर स्वीकृति, दो साल में सौंपनी होगी रिपोर्ट
50 लाख कर्मियों, 30 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा लाभ
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि आयोग को दो वर्ष के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। रिपोर्ट 1 जनवरी 2016 से लागू की जाएगी। आयोग की सिफारिशों से केंद्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी लाभान्वित होंगे। इनमें रक्षा और रेलवे विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। साथ ही करीब 30 लाख पेंशनभोगियों को भी आयोग की सिफारिशों का लाभ मिलेगा।
हर 10 साल में गठन
सरकार अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर दस साल में वेतन आयोग का गठन करती है और अक्सर राज्यों द्वारा कुछ संशोधन के साथ इन्हें अपनाया जाता है। वेतन आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपने में औसतन 2 वर्ष का समय लगता है।
पिछले वेतन आयोग
इससे पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2006 से लागू हुईं थीं। छठे वेतन आयोग से पहले पांचवा वेतन आयोग एक जनवरी 1996 और चौथा वेतन आयोग एक जनवरी 1986 को लागू किया गया था।