राकेश दुबे@प्रतिदिन। और कांग्रेस की और से लोकसभा चुनाव पूर्व गठबंधन की शरुआत हो गई है| राहुल गाँधी ने लालू यादव के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है | उनके साथ रामविलास पासवान और शरद पंवार पहले से ही है | बिहार में यूँ तो भाजपा और जनता दल यूनाइटेड में पहले गठबंधन था जो नरेंद्र मोदी को लेकर टूटा है | अब २०१४ के चुनाव में बिहार के नतीजों की भूमिका सरकार बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगी |
गठबंधन की यह शुरुआत अन्य दूसरे गठबन्धनों के लिए भी रास्ता खोलेगी इस बार चुनाव पूर्ण गठबन्धनो की भूमिका चुनाव पश्चात गठबन्धनों से ज्यादा महत्वपूर्ण होगी और नई सरकार की दशा का आइना होगी | राजनीति में वैसे तो अनेक समीकरण कब बनेंगे कब बिगड़ेंगे कहना मुश्किल है , परन्तु अभी दोनों बड़े घटकों की बड़ी पार्टियों अर्थात कांग्रेस और भाजपा दोनों को अपने दम पर २७२+ मिलता नहीं दिखता है | इन्हें यह आंकड़ा अपने गठ्बन्धन के सहारे ही प्राप्त करना होगा और उनकी अपनी शर्तें होगी |
जैसे लालू यादव ने आज समझौते में बिहार की ४० में से २० सीटें राष्टीय जनता दल के लिए ले ली हैं कांग्रेस को यहाँ १० सीटों पर समझौता करना पड़ा है| कांग्रेस ऐसे ही विवश होकर समझौते करती रही तो मौसमी साथ आने वाले लोग भी दुसरे गठबंधन की तरफ चले जायेंगे और गठबंधन की अच्छी शर्त नहीं कही जाएँगी | फॉर्मूले के तहत बिहार की 40 सीटों में से आरजेडी 20 पर कांग्रेस 10 पर और पासवान की पार्टी एलजेपी आठ पर और एनसीपी दो सीटों पर लड़ेगी। बिहार में अभी आरजेडी के पास चार और कांग्रेस के पास दो सीटें हैं। चारा घोटाला मामले में लालू यादव के ज़मानत पर छूटने के बाद से ही गठजोड़ की अटकलें लगाई जा रही थी |
