राकेश दुबे@प्रतिदिन। गणतंत्र दिवस पर देश के सामने आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के सवाल ज्यो के त्यों खड़े है | इस अव्यवस्था पूर्ण माहौल को बदलने के जो प्रयोग हुए है, वे प्रश्न चिन्हों की जद में है | आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से जुडा महत्वपूर्ण सवाल मुद्रा का है और उससे भ्रष्टाचार, कला धन और आतंकवाद जैसे मुद्दे जुड़े हैं | भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नया फार्मूला निकाला है |
रिजर्व बैंक ने लोगों को 2005 से पहले छपे नोट बैंकों में बदलने का काम शुरू करने की सलाह दी है| रिजर्व बैंक ने बयान में कहा है, लोग बैंक शाखाओं में अपनी सुविधा के अनुसार नोट बदलना शुरू कर सकते हैं. रिज़र्व बैंक ने कहा कि प्रचलन से पुराने करेंसी नोट को हटाना एक मानक अंतरराष्ट्रीय व्यवहार है| रिज़र्व बैंक का कहना है कि प्रचलन में ऐसे नोट की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है|
रिज़र्व बैंक पहले ही बैंकों के जरिये 2005 से पहले के बैंक नोट को नियमित तौर पर वापस ले रहा है क्योंकि ऐसे नोटों में सुरक्षा उपाय बाद में छपे नोटों के मुकाबले कम है| रिजर्व बैंक का मानना है कि 2005 से पहले छपे नोट जो प्रचलन में है, उनकी संख्या इतनी अधिक नहीं है जिससे इसका लोगों पर व्यापक असर पड़े|
रिज़र्व बैंक ने कहा है, हालांकि 2005 से पहले छपे नोट कानूनी तौर पर वैध बने रहेंगे. एक जुलाई के बाद भी पुरानी श्रृंखला के ऐसे नोट कितनी भी संख्या में लोग उन बैंक शाखाओं में जाकर बदल सकेंगे जहां उनके खाते हैं| रिजर्व बैंक ने कहा कि वह पुराने नोटों को वापस लेने की लगातार निगरानी करेगा और उसकी समीक्षा करता रहेगा ताकि लोगों को किसी तरह की कोई असुविधा नहीं हो|
इस कदम से क्या कुछ लाभ होगा ? यह भविष्य के गर्भ में है |
