NIFT: बसंत कोठारी के फेवर में प्रोफेसर्स लामबंद

भोपाल। भोपाल के राष्ट्रीय फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान(एनआईएफटी) के ज्वाइंट डायरेक्टर बसंत कोठारी पर यौन शोषण का आरोप लगाने वालीं छात्राओं ने बुधवार यानी 11 दिसंबर को राज्य महिला आयोग के सामने अपनी जुबान तो खोल दी, लेकिन उसके बाद से अब उनका जीना मुहाल हो गया है।

आयोग के सामने छात्राओं ने संस्थान में बैठे यौन कुंठित लोगों के बारे में कई सनसनीखेज राज उजागर किए थे। हालांकि छात्राओं ने आयोग में दस्तक देने से पहले संस्थान के दिल्ली आफिस और भोपाल में संस्थान की सेक्सुअल हैरसमेंट कमेटी के सामने बसंत कोठारी की करतूतों का चिट्ठा खोल दिया था। उसके बाद से छात्राओं को चुप रहने की धमकी मिल रही थी। उनका करियर चौपट करने की प्लानिंग की जा रही थी।

अब 11 दिसंबर को राज्य महिला आयोग में शिकायत के बाद पीडि़त छात्राओं का जीना मुहाल हो गया है। इसका एक बड़ा कारण इस मामले का मीडिया के सामने आ जाना भी बताया जा रहा है। इससे घबराए बसंत कोठारी अपना प्रभाव का असर दिखाते हुए लड़कियों को धमकी दिलवा रहे हैं।

परिसर में सन्नाटा
पीडि़त छात्राओं को संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी झूठा साबित करते हुए धमकी दे रहे हैं कि बसंत कोठारी ने उन्हें गंदी निगाह से देखा, इसे वे कैसे साबित करेंगी? उन पर भद्दे कमेंट किए जा रहे हैं कि, यदि वे ऐसे ही अपनी जिद पर अड़ी रहीं, तो उन्हें जीवन में कहीं भी नौकरी नहीं मिलेगी। पीडि़ताओं का कहना है कि राज्य महिला आयोग की सुनवाई के बाद मिल रही धमकियों से वे अवसाद ग्रस्त हो गई हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे क्या करें?

11 दिसंबर को हुई सुनवाई में आयोग ने भी माना था कि छात्राओं के संग न्याय नहीं हुआ
एनआईएफटी के ज्वाइंट डायरेक्टर बसंत कोठारी पर इंस्टीट्यूट की सात छात्राओं और और तीन महिला प्रोफेसरों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। इस मामले में 11 दिसंबर यानी बुधवार को पीडि़ताएं राज्य महिला आयोग पहुंचीं थी, जहां इस मामले की सुनवाई हुई थी। यहां संस्थान की ओर से डायरेक्टर यूएस टोलिया ने अपनी बात रखी थी।

इस सुनवाई में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया गया था, कि जब इस मामले की रिपोर्ट संस्थान द्वारा बनाई गई उच्चस्तरीय कमेटी ने दो माह पहले दे दी थी, तो उसे नजरअंदाज क्यों किया गया? राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष उपमा राय ने इस मामले को गंभीर माना है।

महिला आयोग में हुई सुनवाई में छात्राओं ने बताया था कि कैसे उनकी शिकायत को अनसुना किया गया। छात्राओं ने बताया कि जब उन्होंने इसकी शिकायत संस्थान की सेक्सुअल हैरसमेंट कमेटी में की, तो उन्हें प्रोफेसर समीर सूद ने धमकी देते हुए कहा था कि, यदि वे चुप न बैठीं, तो उनका करियर चौपट कर दिया जाएगा।

छात्राओं ने संवैधानिक जांच कमेटी की चेयरमैन अजिता वाजपेयी पांडे पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि, उन्होंने भी उनकी शिकायत ठीक से नहीं सुनी। लड़कियों ने आरोप लगाया कि, उन्होंने बगैर बात सुने, कह दिया कि जांच पूरी हो गई है और वहां से भगा दिया। छात्राओं ने संस्थान के जनरल डायरेक्टर प्रेम गैरे के खिलाफ भी आरोप लगाए थे कि उन्होंने जांच समिति पर दबाव डाला। इसलिए वे जांच समिति की जांच से संतुष्ट नहीं हैं।

कोठारी ने रचा था षड्यंत्र...
सुनवाई के दौरान एक चौंका देने वाला खुलासा हुआ था। छात्राओं के अलावा एक पीडि़त प्रोफेसर ने बताया कि बसंत कोठारी ने उस पर दबाव बनाने के लिए उनके पति को यौन शोषण में फंसाने का षड्यंत्र रचा था। पीडि़त प्रोफेसर के पति पर इसी संस्थान में काम करते हैं। पीडि़ता के अनुसार, बसंत कोठारी ने एक अन्य महिला प्रोफेसर से कहा था कि वे उसके पति(पीडि़त प्रोफेसर) पर झूठा यौन शोषण का आरोप लगा दें।

यह है मामला :
एनआईएफटी की सात छात्राओं और तीन महिला प्रोफेसर ने उच्च प्रबंधन और राज्य महिला आयोग को पिछले दिनों एक शिकायत भेजी थी। इसमें संस्थान के ज्वाइंट डायरेक्टर बसंत कोठारी पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे।शिकायत में लिखा गया था कि कोठारी हर रोज उन्हें अपने चैम्बर में बुलाते थे और फिर अकेला पाकर अश्लील बातें करते थे। बात-बात में उन्हें छूने की कोशिश भी करते थे। वे अश्लील इशारे भी करते थे।हालांकि पहले तो प्रोफेसरों और छात्राओं ने उसे नजरअंदाज कर दिया, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा, तो उन्होंने चुप्पी तोड़ी।

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