भोपाल। शिवराज सिंह प्रचंड बहुमत से जीत गए, चुनाव के दौरान कई बागियों को लालबत्ती की शर्त पर शांत किया गया था परंतु अब मध्यप्रदेश में रेवड़ियों की तरह लालबत्तियां नहीं बंट पाएंगी।
उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि लाल बत्ती की गाड़ियों का इस्तेमाल केवल संवैधानिक पदों पर बैठे और अतिविशिष्ट व्यक्ति ही कर सकते हैं. न्यायालय ने कहा कि पुलिस, एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाओं के वाहनों को नीली बत्ती का इस्तेमाल करना चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्र सरकार को लाल बत्ती पाने का अधिकार रखने वाले लोगों की सूची सौंपने और तीन महीने के भीतर संबंधित क़ानून में संशोधन करने को कहा है.
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें लाल बत्ती के लिए अपनी सूची को नहीं बढ़ा सकती. उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के निवासी अभय सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
न्यायालय ने अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकालने वाले हॉर्न को भी सभी वाहनों से हटाने का आदेश दिया है. न्यायालय ने कहा कि ऐसे हॉर्न का इस्तेमाल करने वाले वाहनों पर उचित जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
न्यायालय में लाल बत्ती और नीली बत्ती का मामला कई सालों से चल रहा था. याचिका में कहा गया था कि सत्ता से जुड़े सदस्य अपना रसूख दिखाने के लिए अपनी गाड़ी पर लालबत्ती लगाकर घूमते हैं जिससे जनता को परेशानी होती है.
न्यायालय ने इस बारे में राज्य सरकारों से प्रतिक्रिया मांगी थी. राज्यों की प्रतिक्रिया जानने और याचिकाकर्ता को सुनने के बाद न्यायालय ने यह आदेश दिया. हालांकि न्यायालय ने संवैधानिक पद को परिभाषित नहीं किया है.
न्यायालय ने कहा है कि तीन महीने के अंदर सभी राज्य एक नई सूची निकालें जिसके अंतर्गत संवैधानिक पद को परिभाषित किया जाए.
इससे पहले अगस्त में उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों के अहम लोगों को मिली सुरक्षा की समीक्षा करने को कहा था. न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि लाल बत्ती और सायरन का इस्तेमाल अंग्रेजी राज की याद दिलाता है.