भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार से कुलबुलाई कांग्रेस में अंतर्कलह पैदा हो गई है। अलग-अलग गुट हार की अपनी अलग-अलग स्क्रिप्ट तैयार करने में लगे हैं।
उधर, हार की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने रविवार को ही प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश को इस्तीफा सौंप दिया था, जिसे फिलहाल स्वीकार नहीं किया गया है। हालांकि भूरिया अपने इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। वे अब नई दिल्ली में आलाकमान से चर्चा कर अपना इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध करेंगे।
कांग्रेस में हाल-फिलहाल जो अंदरूनी हालात निर्मित हुए हैं, वे नेताओं और कार्यकर्ताओं में बैठी घोर निराशा की ओर इंगित करते हैं। दरअसल, कांतिलाल भूरिया के गुट से जुड़े हुए नेताओं का तर्क है कि प्रदेश चुनाव समिति की कमान चुनाव से ठीक तीन महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपना पार्टी की एक बड़ी भूल थी।
इन नेताओं का मानना है कि इससे आदिवासियों वोटरों के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग में गलत संदेश गया। एक आदिवासी नेता को हटाकर महाराजा को आगे लाना उन्हें मायूस कर गया। यानी कांतिलाल भूरिया गुट हार का सारा ठीकरा ज्योतिरादित्य सिंधिया के मत्थे फोडऩे पर तुला हुआ है।
उधर, विंध्य में तमाम आंतरिक विरोधों के बावजूद अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सफल हुए अजय सिंह चुप हैं। उसके पीछे एक वजह यह भी मानी जा रही है कि विंध्य में उनकी सिफारिश पर टिकट पाने वाले नेता जीते, जबकि जिन-जिन का उन्होंने टिकट का विरोध किया, वे हारे।