भोपाल। नई सरकार गठन के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा का सदन चलाने के लिए नए विधानसभा अध्यक्ष की तलाश कर रहे हैं। ईश्वरदास रोहाणी के निधन के कारण सरकार को इस बार इस पद के लिए चेहरों के चयन में जरा ज्यादा सोचना पड़ रहा है। क्योंकि रोहाणी के निधन से सरकार ने एक कुशल और दक्ष अध्यक्ष खो दिया है।
सूत्रों की माने तो दसवीं बार विधायक बने बुल्डोजर मंत्री बाबूलाल गौर को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की चर्चा भी चल रही है,लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में इस महत्वपूर्ण पद के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है।
बाबूलाल गौर
दसवीं बार विधायक रहे बाबूलाल गौर वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए पहले नंबर पर हैं। पक्ष और विपक्ष में बेहतर समन्वय बनाने का हुनर,और सर्वमान्य चेहरा। लंबे समय से विधायक एवं मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद पर काम कर चुके गौर को संसदीय ज्ञान का व्यवहारिक अनुभव है।
नरोत्तम मिश्रा
शिवराज सरकार में संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर मिश्रा ने शानदार काम किया। विधि एवं विधायी कार्य मंत्री होने के नाते भी बेहतर कार्यानुभव। विरोधियों को साधने की कला में वे माहिर हैं। संसदीय मामलो का ज्ञान है। हालांकि इसके लिए राजी नहीं हुए तो केबिनेट में आना करीब तय है।
ज्ञान सिंह
सातवीं बार विधायक, रोहाणी के निधन के बाद फिलहाल प्रोटेम स्पीकर। मृदुभाषी, सरल छवि।
केदारनाथ शुक्ला
सीधी से तीन बार के विधायक,विभिन्न समितियों में सभापति होने के कारण विधायी मामलों की अच्छी पकड़। करीब पंद्रह वर्षों से विधानसभा की सभातालिका में शामिल होने के नाते संसदीय ज्ञान। पेशे से वकील। पहले भी एक मर्तबा इनके नाम पर विचार किया गया था।
राजेंद्र शुक्ला
मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र शुक्ला केबिनेट मंत्री हैं। पहले भी दो बार मंत्री रहे इसलिए संसदीय अनुभव का ज्ञान है। विंध्य क्षेत्र में बड़ा चेहरा। धैर्यवान, मृदुभाषी होने के साथ भाषा में पकड़।
जयंत मलैया
वरिष्ठ मंत्री मलैया छ: बार के विधायक हैं। एक बार तो उनका नाम इस पद के लिए तय भी हो गया था,लेकिन भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हस्तक्षेप के बाद मंत्री बनाया गया। मिलनसार, संसदीय जानकार हैं। इन नामों के अलावा पार्टी गौरीशंकर शेजवार और मंत्री सरताज सिंह के नामों पर भी विचार हो सकता है। स्व.ईश्वरदास रोहाणी से पूर्व सरताज को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, पर उन्होने असहमति जताकर मना कर दिया था।
विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस से ये चेहरे
विधानसभा उपाध्यक्ष पद चूंकि विपक्षी दल को जाता है, इसलिए इस बार कांगे्रस में इस पद के लिए छठवीं बार विधायक बने वरिष्ठ विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा और सत्यदेव कटारे का नाम रेस में है। कालूखेड़ा सांसद होने के साथ विधानसभा में सभापति भी रहे चुके हैं। संसदीय ज्ञान अच्छा है। स्वभाव सरल, सहज है। तो पूर्व गृहमंत्री कटारे भी सभातालिका में रह चुके हैं। संसदीय ज्ञान अच्छा है।
सूत्रों की माने तो दसवीं बार विधायक बने बुल्डोजर मंत्री बाबूलाल गौर को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की चर्चा भी चल रही है,लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में इस महत्वपूर्ण पद के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है।
बाबूलाल गौर
दसवीं बार विधायक रहे बाबूलाल गौर वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए पहले नंबर पर हैं। पक्ष और विपक्ष में बेहतर समन्वय बनाने का हुनर,और सर्वमान्य चेहरा। लंबे समय से विधायक एवं मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री पद पर काम कर चुके गौर को संसदीय ज्ञान का व्यवहारिक अनुभव है।
नरोत्तम मिश्रा
शिवराज सरकार में संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर मिश्रा ने शानदार काम किया। विधि एवं विधायी कार्य मंत्री होने के नाते भी बेहतर कार्यानुभव। विरोधियों को साधने की कला में वे माहिर हैं। संसदीय मामलो का ज्ञान है। हालांकि इसके लिए राजी नहीं हुए तो केबिनेट में आना करीब तय है।
ज्ञान सिंह
सातवीं बार विधायक, रोहाणी के निधन के बाद फिलहाल प्रोटेम स्पीकर। मृदुभाषी, सरल छवि।
केदारनाथ शुक्ला
सीधी से तीन बार के विधायक,विभिन्न समितियों में सभापति होने के कारण विधायी मामलों की अच्छी पकड़। करीब पंद्रह वर्षों से विधानसभा की सभातालिका में शामिल होने के नाते संसदीय ज्ञान। पेशे से वकील। पहले भी एक मर्तबा इनके नाम पर विचार किया गया था।
राजेंद्र शुक्ला
मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र शुक्ला केबिनेट मंत्री हैं। पहले भी दो बार मंत्री रहे इसलिए संसदीय अनुभव का ज्ञान है। विंध्य क्षेत्र में बड़ा चेहरा। धैर्यवान, मृदुभाषी होने के साथ भाषा में पकड़।
जयंत मलैया
वरिष्ठ मंत्री मलैया छ: बार के विधायक हैं। एक बार तो उनका नाम इस पद के लिए तय भी हो गया था,लेकिन भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हस्तक्षेप के बाद मंत्री बनाया गया। मिलनसार, संसदीय जानकार हैं। इन नामों के अलावा पार्टी गौरीशंकर शेजवार और मंत्री सरताज सिंह के नामों पर भी विचार हो सकता है। स्व.ईश्वरदास रोहाणी से पूर्व सरताज को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, पर उन्होने असहमति जताकर मना कर दिया था।
विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस से ये चेहरे
विधानसभा उपाध्यक्ष पद चूंकि विपक्षी दल को जाता है, इसलिए इस बार कांगे्रस में इस पद के लिए छठवीं बार विधायक बने वरिष्ठ विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा और सत्यदेव कटारे का नाम रेस में है। कालूखेड़ा सांसद होने के साथ विधानसभा में सभापति भी रहे चुके हैं। संसदीय ज्ञान अच्छा है। स्वभाव सरल, सहज है। तो पूर्व गृहमंत्री कटारे भी सभातालिका में रह चुके हैं। संसदीय ज्ञान अच्छा है।