कीजिए नए आंदोलन की शुरूआत: जब नौकरी है सरकारी तो बच्चों की शिक्षा भी हो सरकारी

उपदेश अवस्थी। मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ अध्यापक सुनील दुबे ने भोपाल समाचार को भेजे एक संदेश में एक नए आंदोलन का आगाज किया है। उनका कहना है कि नियम बनाया जाना चाहिए 'यदि नौकरी है सरकारी तो बच्चों को शिक्षा भी सरकारी स्कूल में ही दिलाओ।'

हम अपनी बात रखने से पहले आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं वो संदेश जो श्री सुनील दुबे ने भोपाल समाचार को भेजा, कृपया पढें:—

पूरे मध्यप्रदेश में यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है।
चाहे वो कलेक्टर हो या SP या कोई अन्य कर्मचारी। सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढेंगे और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में न पढते हो उन्हें सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए।

सभी लोग समझ सकते है कि जब जिले के कलेक्टर और SP तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह की पढाई वहाँ करवाएँगे। सभी शिक्षक स्कूल समय पर आएँगे और अपना कार्यपूरी ईमानदारी से करेंगे। जो शिक्षक किसी जुगाड़ के चलते शिक्षक बने है और पढाने में असमर्थ है वो स्वयं अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देंगे।

शिक्षा के स्तर में अचानक उछाल आ जाएगा और अपने देश के बच्चे भी मिसाल कायम करेंगे। जो भी मित्र इस पोस्ट को पढ़ रहे है अगर उन्हें यह सुझाव अच्छा लगे। तो
कृपया ये सुझाव share करके सरकार तक पहुचाँने मेँ मदद करें।

संपादक की डेस्क से
निश्चित रूप से यह विचार एक विशाल आंदोलन का आगाज है। यह संभव है और मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यह अत्यंत आवश्यक भी है परंतु यह आसान नहीं है अत: इसके लिए केवल शेयर करने से काम नहीं चलेगा। कृपया एक आंदोलन की रुपरेखा बनाइए। नई सरकार का गठन होने जा रहा है। यदि आप सभी सहमत हैं तो एक आंदोलन की रणनीति यहीं इसी मंच पर बनाई जा सकती है। कृपया इस विषय पर अपने विचार अवश्य प्रकट करें एवं इस आंदोलन को क्या टाइटल दिया जाए, इसका सुझाव भी दें। अपने संयुक्त प्रयास निश्चित रूप से इस विषय में सकारात्मक परिणाम लेकर आएंगे।

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