मंत्रियों को मिला सशर्त फ्रीहेण्ड

भोपाल। शनिवार को मंत्रिमण्डल में शामिल किए गए मंत्रियों को पिकनिक के बहाने उनके दिल और दिमाग को टटोलने के लिए रातपानी अभ्यारण्य ले गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक सीईओ की तरह ब्रेन स्टार्मिंग का फंडा इस्तेमाल किया।

उन्होंने मंत्रियों की पसंद और काम के अंदाज को जानने- परखने की कोशिश की और इसका भी काफी हद तक आंकलन कर लिया कि किस-किस मंत्री को किस विभाग की जवाबदारी सौंपी जानी चाहिए। इस काम में मुख्यमंत्री की मदद के लिए मुख्य सचिव अंटोनी डिसा और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव जैसे चुनिंदा अधिकारी भी कैबिनेट की इस अनौपचारिक बैठक में शामिल हुए।

मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री की वन-टू-वन और सामूहिक चर्चाओं के फीडबैक के आधार इस नई टीम की जिम्मेदारियां तय करने का खाका खींचा गया। मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों से यह कहकर उनका हौंसला बढ़ाया कि उन्हें जो भी विभाग मिलेंगे, उसमें काम की उन्हें पूरी आजादी होगी लेकिन इसके बाद यह जानकारी देकर कि हरेक विभाग में एक निगरानी तंत्र विकसित होगा जो पूरे विभाग पर निगरानी रखने का काम करेगा। ऐसा कहकर मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को यह बताने की कोशिश भी की कि मंत्री गलत कामों से दूर रहें और अनावश्यक किसी काम में अड़चन पैदा न करें।

छवि को लेकर चिंता
सूत्रों के अनुसार रातपानी में मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों से जो बातें कहीं और अपने अनुभव बताए, उसमें यही संदेश छिपा था कि मंत्री हर हाल में अपनी छवि को साफ-सुथरा रखें। मुख्यमंत्री मंत्रियों की छवि को लेकर ज्यादा चिंतित दिखे। चुनाव से पहले कई मंत्रियों के टिकट काटने का फैसला लेने की मजबूरी और इसके बाद चुनाव में करीब 10 मंत्रियों की हार को आधार बनाकर मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों को इशारों-इशारों में तो कुछ को साफसाफ शब्दों में कहा कि वे अपनी छवि से समझौता नहीं करें। जनता ने हम पर विश्वास किया, इस खरा उतरना है।

कैलाश पहुंचे अपनी गाड़ी से
इस बस में बैठे मंत्रियों में वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयगर्वीय शामिल नहीं थे। मुख्यमंत्री निवास पहुंचने में लेट हुए कैलाश अपनी सरकारी गाड़ी से रातपानी के लिए रवाना हुए। इससे पहले सभी मंत्री अपनी-अपनी सरकारी गाड़ियों से मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। उनकी गाड़ियां मुख्यमंत्री निवास में पार्क हुइं। मुख्यमंत्री निवास पहुंचने वालों में सबसे पहले मंत्री भूपेंद्र सिंह थे। सबसे आखिर में कुसुम महदेले पहुंची।

मंत्री बोले, नहीं देंगे शिकायत का मौका
सूत्रों के अनुसार सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के साथ वन-टू-वन और सामूहिक चर्चा में मुख्यमंत्री को इस बात को भरोसा दिलाया है कि वे उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरेेंगे। इस चर्चा में कई मंत्रियों ने पूछने पर मुख्यमंत्री को विभागों को लेकर अपनी पसंद भी बताई तो कुछ ने इसका निर्णय मुख्यमंत्री पर ही छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि कुछ वरिष्ठ मंत्रियों ने इस चर्चा में मुख्यमंत्री ने अफसरों द्वारा लगाए जाने वाले अड़ंगों की बात भी उठाते हुए कहा कि कई बार अफसर बेवजह बाधा खड़ी करते हैं जबकि वे व्यवहारिक नहीं होती। मुख्यमंत्री ने इस मामले में प्रदेश के अधिकारी काफी समर्पित भाव से काम कर रहे हैं और उनके साथ बेहतर ताल-मेल बनाकर बनाने की जरूरत है। दोनों तरफ से सामंजस्य होगा, तभी विभाग में ठीक से काम हो पाएगा।

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