भोपाल। महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व महर्षि विद्या मंदिर के सचिव पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोप के मामले में पीडि़ता द्वारा की गई शिकायत जांच में उलझ गई है।
इस मामले में पुलिस पीडि़ता द्वारा की गई शिकायती आवेदनों की प्रतियों को एकत्रित कर उसमें से ऐसे पाइंट निकाल रही है जो विरोधाभास पैदा करती है। पुलिस का कहना है कि महिला द्वारा लगातार दिए गए विरोधाभास शिकायती आवेदनों के आधार पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है।
महर्षि विद्या मंदिर के सचिव पर लगे यौन उत्पीडऩ के मामले में पीड़िता रेणुरानी शर्मा का कहना है कि वह एक साल से महिला थाने के चक्कर लगा रही है, लेकिन उसकी शिकायत अब तक दर्ज नहीं हुई है। पीडि़ता का कहना है कि सेक्सुअल हैरासमेंट ऑफ वूमन एट वर्क प्लेस एक्ट 22 अप्रैल 2013 लागू हो गया है, उसे उम्मीद है कि उसे अब न्याय जरूर मिलेगा।
नए एक्ट के तहत उसके साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ हुआ है। इस बात की लिखित शिकायत मप्र के राज्यपाल, राज्य महिला आयोग व महिला थाने सहित सब जगह कर चुकी है। पीडि़ता का कहना है कि यौन उत्पीडऩ के मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज करती तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। इधर महिला सेल की एडीजी अरुणा मोहन राव का कहना है कि महिला थाने को नए सिरे से जांच सौंपी है। जांच की रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट 15 दिसंबर तक मिल जानी थी। लेकिन जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है। लिहाजा महिला सेल अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है। गौरतलब है कि विवि के कुलाधिपति व महर्षि विद्या मंदिर के सचिव के खिलाफ महर्षि विद्या मंदिर रतनपुर की शिक्षिका ने 24 दिसंबर 2012 को यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था।