भोपाल। शुक्रवार को कलेक्टर सहित तमाम अफसरों की लाल और पीली बत्ती वाली गाड़ियों को पीछे के दरवाजे से निकलना पड़ा। साथ ही कलेक्टोरेट में अफरा तफरी मच गई। हमेशा खुला रहने वाला सामने का मुख्य गेट बंद था और विभिन्न कामों के लिए आने वालों को दरवाजे के बीच में से निकलना पड़ा।
इसकी वजह थी, जिला न्यायालय ने 1984 में पुराने भोपाल के ग्राम करारिया और निशातपुरा में सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाना (कोच फैक्ट्री) लिए अधिग्रहित की गई भूमि के बदले किसानों को मुआवजा नहीं मिलने पर जिला प्रशासन की संपत्ति कुर्क कर राशि देने के आदेश दिए हैं। हालांकि, प्रशासनिक अफसरों के 8 दिन की मोहलत मांगने पर कुर्की की कार्रवाई आगे बढ़ा दी गई।
कलेक्टोरेट में जैसे ही कोर्ट का अमला व किसान कुर्की की कार्यवाही के लिए दोपहर 2.30 बजे तो हड़कंप मच गया। कुर्की के लिए आए अफसरों ने एडीएम नॉर्थ की गाड़ी एमपी-02- आरडी-0444, अपर कलेक्टर की गाड़ी एमपी-02-एबी-0111, एमपी- 02-आरडी-0501 और एमपी-02- एवी-1060 की कुर्की के दस्तावेज तैयार कर लिए। हालांकि इन गाड़ियों को क्रेन से उठाया नहीं जा सका। इससे पहले ही एसडीएम चंद्रमोहन मिश्रा ने मोर्चा संभालते हुए वरिष्ठ अफसरों से बात करने को कहा। इसके बाद अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे और गोविंदपुरा
एसडीएम डीसी सिंघी ने 8 दिन का समय मांगा, जिसके बाद कुर्की की समय अवधि बढ़ा दी गई।
8 दिन बाद का इंतजार
किसानों को जमीन का मुआवजा कैसे मिलेगा? कितनी राशि दी जाएगी? इस बात का फैसला अब जिला प्रशासन को ही लेना है। अपर कलेक्टर और एसडीएम ने इसके लिए 8 दिन का वक्त मांगा, जो उन्हें दिया गया है। निराकरण न होने पर गाड़ियों को कुर्क किया जाएगा। इसी के साथ करीब 7 करोड़ रुपए की वसूली के लिए प्रशासन की अन्य संपत्तियों को भी कुर्की में शामिल किया जाना तय है।
29 साल और 22 कलेक्टर
भूमि अधिग्रहण का यह प्रकरण कलेक्टोरेट में 1984 से चल रहा है। उस वक्त तत्कालीन कलेक्टर राकेश बंसल थे। इस समय 22वें हैं।