भोपाल। अपने बेटे जयवर्धन की पीआर बढ़ाने और प्रदेश की राजनीति में शुरूआत कराने के लिए दिग्विजय सिंह कल राजधानी आए। सबसे पहले उन्होंने मध्यप्रदेश की राजनीति के धुरंधर शिवराज सिंह चौहान के दर्शन कराए।
वो अपने बेटे को लेकर शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंचे। दोनो के बीच क्या चर्चा हुई। इस बारे में तो पता नहीं लग पाया,हालांकि दिग्गी ने मीडिया को जानकारी में बताया कि वे मुख्यमंत्री को तीसरी बार सरकार बनाने के लिए बधाई देने उनके आवास पर गए थे। शपथ ग्रहण समारोह का उन्हें आंमत्रण भीमिला था लेकिन उसमें शामिल नहीं हो पाए।
पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा में पहली बार दिग्गी अपने बेटे के साथ नजर आए। उन्होने कहा कि अब भोपाल में बेटा राजनीति करेगा और मैं दिल्ली में नेहरू और इंदिरा जी की विचारधारा पर काम करूंगा।
मेरा अनुमान गलत निकला
विधान सभा के चुनाव में पार्टी को मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिग्गी ने कहा कि मतगणना के पहले उनका आंकलन था कि प्रदेश में उनकी पार्टी को 110 से लेकर 120 तक सीटें मिल सकती हैं, लेकिन उनका अनुमान गलत निकला । दाअसल,दिग्गी अपनी सटीक भविष्यवाणियों के लिए जाने जाते हैं, ऐसी ही भविष्यवाणी उन्होने यहां के नतीजों को लेकर की थी,जो पूरी तरह से गलत साबित हुई।
दिग्विजय ने कहा कि मालवा और निमाड अंचल में उनकी पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरुप नहीं रहा ,जबकि बुंदेलखंड विंध्य और ग्वालियर -चंबल अंचल में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है । उन्होंने स्वीकारा कि हमरा प्रचार तंत्र उतना मजबूत नहीं रहा जितना भाजपा का था । चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर थी या फिर भाजपा के पक्ष में माहौल था? इस सवाल पर उन्होने कहा इस बार चुनाव पंचायतोंकी तरह हुए हैं। जिस प्रत्याशी ने जनता से सीधा संवाद स्थापित कर लिया वह जीत गया। वैसे इस बार हर सीट पर अलग निर्णय उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि वे इस बात के हमेशा पक्षधर रहे हैं कि प्रत्याशी कीघोषणा चुनाव से दो तीन माह पहले हो जानी चाहिए ।