भोपाल। नाम तो राहुल गांधी के सर्वे और पर्दे के पीछे के प्रबंधन का, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत थी। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने मप्र में ऐसा गिरोह बनाया कि राहुल के मैनेजर भी हार मान गए। टिकट का वितरण जीत की संभावना की बजाय गुटीय प्रतिबद्धता के आधार पर हुए।
भोपाल। नतीजा मप्र की जनता ने कांग्रेस को एक बार फिर विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है। भाजपा ने तीन साल पहले यानी 2010 में प्रभात झा के प्रदेशाध्यक्ष बनने के साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके जवाब में कांग्रेस ने केवल तीन महीने तैयारी शुरू करी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस मैदान में नजर आना शुरू हुई थी।
इस बीच कांग्रेस ने कहा कि इस बार नेताओं के कोटे से नहीं बल्कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कराए गए सर्वे के आधार पर टिकट दिए जाएंगे। इसमें भी निकायों के प्रतिनिधियों और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका देने की बात कही गई। राहुल गांधी ने भोपाल और मोहनखेड़ा में कांग्रेस नेताओं के साथ कमरा बंद बैठकों में भी यही बात कही थी।
लेकिन जब टिकट वितरण हुआ तो टिकट राहुल के सर्वे के आधार पर जीत की संभावना वालों को नहीं, बल्कि गुटीय प्रतिबद्धता वाले नेताओं को मिले। नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र बांट लिए और उन क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट दिलवा दिया। इस बात को समझने के लिए रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट का उदाहरण ही काफी है।
यह सीट सांसद प्रेमचंद गुड्डू के कोटे में आई थी। पहले उनके घरेलू नौकर पप्पू बोरासी को टिकट दिलाया। उसके बाद उनके मित्र कमल वर्मा के नाम टिकट हुआ। लेकिन नाटकीय ढंग से वर्मा का नामांकन निरस्त हुआ और बी-फॉर्म में अचानक प्रेमचंद गुड्डू के बेटे अजीत बोरासी का नाम वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में सामने आ गया। अजीत ने वहां से चुनाव लड़ा और पार्टी हार गई।
जिस तरह के नतीजे सामने आ रहे हैं उसमें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की हकीकत सामने ला दी है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के राजगढ़ जिले में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी अपने गृह नगर भोजपुर से चुनाव हार गए। ऐसे में भोपाल-होशंगाबाद संभाग में उनके समर्थकों की हार तो स्वाभाविक है। न तो ग्वालियर-चंबल में सिंधिया का जादू चला और न छिंदवाड़ा में कमलनाथ का। कांग्रेस को कहीं फायदा हुआ है तो केवल नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के विंध्य क्षेत्र में।
