इंदौर. अब 30 साल से ज्यादा उम्र वाले भी लॉ कॉलेज में प्रवेश ले सकेंगे। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कई याचिकाओं का इस आधार पर निराकरण कर दिया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली ने उम्र संबंधी नोटिफिकेशन वापस ले लिया है।
गुरुवार को मप्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस शांतनु केमकर की डिवीजन बेंच में लगभग 25 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इनमें सरिता नीमा, मनीषसिंह, संतोषकुमार सिंह, प्रवीण पहाड़िया आदि की ओर से अधिवक्ता आकाश शर्मा ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में बीसीआई ने लिखित जानकारी दी है कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के विद्यार्थियों को प्रवेश पर पाबंदी संबंधी नोटिफिकेशन समाप्त कर दिया है। अदालत ने उसी के प्रकाश में यह कहते हुए याचिकाओं का निराकरण कर दिया कि विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाए।
तीन साल से परेशान थे छात्र
बीसीआई ने 2009-10 में नोटिफिकेशन जारी कर 30 वर्ष के बाद लॉ कॉलेजों में प्रवेश पर रोक लगाई थी। उसके खिलाफ कुछ याचिकाओं पर हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 30 नवंबर २क्11 को बीसीआई का नोटिफिकेशन यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रवेश की पात्रता सबको मिलना चाहिए। इस आदेश से केवल उन युवकों को लाभ मिला, जिन्होंने याचिकाएं लगाई थीं। ग्वालियर बेंच के आदेश के खिलाफ बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन उसे स्टे नहीं मिला।
फिर इंदौर खंडपीठ में पहुंचे
उसके बाद हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में इस आधार पर याचिका दायर की गई कि ग्वालियर की डिवीजन बेंच ने नोटिफिकेशन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ बीसीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां उसे स्टे नहीं मिला। इस पर इंदौर खंडपीठ ने वर्ष 2013 में यह कहते हुए अंतरिम आदेश दिया था कि याचिकाकर्ताओं को प्रवेश दिया जाए। अदालत के इस आदेश के बाद याचिकाकर्ताओं को तो प्रवेश मिल गया, लेकिन बाकी विद्यार्थी रह गए थे।