भोपाल. भाजपा सरकार में मंत्री रहे नेता अपनी हार को लेकर चकित भी हैं और नाराज भी। दस मंत्रियों के हारने से भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी हैरान है। कृषि मंत्री रहे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया सीट बदलने के बाद भी हार गए।
उनका कहना है कि जिले के नेताओं के भितरघात के कारण यह स्थिति बनी है। यही नेता इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसकी शिकायत पार्टी हाईकमान को कर दी है।
दूसरी तरफ कद्दावर मंत्रियों में गिने जाने वाले अजय विश्नोई हार के कारणों को लेकर परेशान हैं। पूछने पर कहते हैं - शायद जनता नाराज थी। इसलिए हार गया। जनता क्यों नाराज थी, यह समझ ही नहीं पाया। जब उनसे पूछा गया कि क्षेत्र में भितरघात तो नहीं हुआ, इस पर विश्नोई ने कहा कि रिजल्ट सामने है। अब किसी को क्या दोष दूं?
गौरतलब है कि दस मंत्रियों की पराजय से प्रदेश नेतृत्व में भी हलचल है। खासतौर पर राजस्व मंत्री रहे करण सिंह वर्मा, जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, श्रममंत्री रहे जगन्नाथ सिंह और डॉ. कुसमरिया की हार को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं। भाजपा ने कुछ ऐसी सीटें भी गवाईं हैं, जिसमें वह पिछले दो-तीन चुनावों से जीत रही थी। सूत्रों की मानें तो टिकट वितरण के दौरान चार दर्जन विधायकों के टिकट काटे गए और चुनाव के नतीजे आने के बाद भी इतनी ही विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा। पार्टी नेतृत्व इस बात की समीक्षा नई सरकार और मंत्रिमंडल गठन के बाद करेगा। यह भी कहा जा रहा है कि हारे हुए कुछ मंत्रियों को सरकार में किसी न किसी रूप में शामिल किया जा सकता है।
कार्रवाई में नरमी का अंदेशा
कुछ मंत्रियों का यह भी कहना है कि जिस तरह से बहुमत मिला है, उससे अब लगता है कि पार्टी नेतृत्व भितरघातियों पर नरमी बरतेगा। पार्टी नहीं चाहेगी कि कार्रवाई के बाद सुर्खियां बनें। लिहाजा उन लोगों पर ही कार्रवाई होगी, जो खुलकर सामने आए हैं। कई जगहों पर संगठन मंत्रियों और जिला व मंडल के नेताओं ने पर्दे के पीछे रहकर हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वे बच जाएंगे।
मंत्री एंटी इनकमबेंसी के शिकार: झा
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लहर में यदि कोई हारा है तो निश्चित रूप से यह व्यक्तिगत एंटी इनकमबेंसी है। झा ने एक साथ 10 मंत्रियों की हार पर कोई टिप्पणी नहीं की।
ये बोले पराजित मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्षेत्र होने के कारण लड़ाई सीधे सिंधिया के साथ हो गई थी। इसके अलावा आदिवासी वोट जो भाजपा के साथ था, ऐन कुछ दिन पहले कांग्रेस की तरफ चला गया। कुछ गलतियां भी टिकट की घोषणा के बाद हो गईं, जो नुकसानदायक रही।
केएल अग्रवाल
क्यों हारा, इस पर अब क्या कहूं? सभी प्रदेश पदाधिकारियों को लिखकर दे दिया है। जो करना है, वही करेंगे।
हरेंद्र जीत सिंह बब्बू
किसी को दोष देना ठीक नहीं है। चुनाव के दौरान कुछ भ्रम था, जो अब दूर हो गया है। भोपाल आकर इस बारे में बात करूंगा।
जगन्नाथ सिंह