भोपाल। शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री और दतिया विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार डॉ. नरोत्तम मिश्रा पेड न्यूज के मामले में फंस गए हैं। नरोत्तम मिश्रा पर 11 नवंबर को 9 स्थानीय समाचार पत्रों में पेड न्यूज छपवाने का आरोप आयोग ने सही पाया है।
28 नवंबर को आयोग ने उन्हें पेड न्यूज के लिए दोषी मानते हुए 48 घंटों में फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग नई दिल्ली में अपील करने का अवसर दिया है। उल्लेखनीय है कि इसी विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज के एक मामले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी लेकिन इसके बाद सामने आए एक नए मामले में जिला स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एण्ड मॉनीटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) ने स्थानीय समाचार पत्रों में उनके चुनाव प्रचार की एक जैसी छपी खबरों को पेड न्यूज माना था।
जिला स्तरीय एमसीएमसी के फैसले के खिलाफ डॉ. मिश्रा ने राज्य स्तरीय एमसीएमसी में अपील की थी। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय एमसीएमसी में मिश्रा की तरफ से उनके अधिवक्ता ने तर्क दिए गए कि जिला स्तरीय एमसीएमसी का निर्णय एक तरफा है और प्रकाशित समाचार पेड न्यूज की श्रेणी में नहीं आता। लेकिन एमसीएमसी ने उनके तर्कों को खारिज करते हुए 11 नंवबर को 8-9 अखबारों में प्रकाशित खबरों को पेड न्यूज माना और मिश्रा के निर्वाचन व्यय में 13 हजार 552 रुपए की राशि जोड़ दी।
नरोत्तम के तर्क
नरोत्तम मिश्रा की तरफ से उनके वकीलों द्वारा कहा गया कि जिला स्तरीय एमसीएमसी ने आयोग के प्रावधानों पर विचार नहीं किया, उनके या उनके अधिकृत व्यक्ति द्वारा तथाकथित समााचर का प्रकाशन नहीं कराया गया, छपे हुए समाचार उनके संज्ञान में नहीं हैं, जिला स्तरीय एमसीएमसी ने विधि के प्रावधानों का पालन नहीं किया, बिना आधार के गंभीर भूल की हे।
आयोग के जवाब
अलग-अलग समाचार पत्रों के मौलिक समाचारों में शब्द, अक्षर, कॉमा, फुलस्टाप आदि में भिन्नता होती है लेकिन मिश्रा के पक्ष में छपे समाचारों में भिन्नता नहीं है। इसे पेड न्यूज मानने का निर्णय तथ्य परक है। तथ्यों और तर्कों से साफ है कि समाचार किसी व्यक्ति अथवा पार्टी को लाभ दिलाने के उद्देश्य से प्रकाशित कराया गया है। एक समाचार पत्र में जिस भाषा-शब्द का इस्तेमाल किया गया है, वही भाषा और शब्द दूसरे समाचार पत्रों में भी छपे हैं। एक ही तारीख में 8-9 समाचार पत्रों में एक जैसा समाचार, एक जैसी हेडिंग के साथ छपने से साफ है कि इसका उद्देश्य किसी प्रत्याशी को लाभ पहुंचाने का था। दतिया के रिटर्निंग आफीसर ने विधिवत सूचना पत्र देकर सुनवाई कर निर्णय लिया है, इसलिए प्रक्रियात्मक त्रुटि का भी सवाल नहीं उठता।
आगे क्या
राज्य स्तरीय एमसीएमसी के निर्णय के खिलाफ डॉ. मिश्रा के पास नई दिल्ली में चुनाव आयोग को अपील करने का अवसर है। यदि चुनाव आयोग भी उनके खिलाफ फैसला देता है तो वे हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं और इसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
पेड न्यूज के कुल 64 मामले
विधानसभा चुनाव 2013 में पेड न्यूज के कुल 64 मामलों में आयोग ने कार्रवाई की है। दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की पेड न्यूज को लेकर कुल 227 शिकायतें मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को मिलीं थीं। इनमें से अधिकांश शिकायतों का जिला स्तरीय एमसीएमसी एवं कुछ प्रमुख शिकायतों का राज्य स्तरीय एमसीएमसी द्वारा निराकरण किया गया। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने एमसीएमसी की सिफारिशों पर 64 मामलों में विभिन्न उम्मीदवारों को पेड न्यूज के दोषी माना है। इन उम्मीदवारों के खातों में कुल 6 लाख 81 हजार की राशि जोड़ी गई है।