अतिथि शिक्षक की जायज माँगोँ को तबज्जो नही?

योग्य अनुभवी ईमानदार अथिति शिक्षको को नियमित किया जाये सरकार को अथिति शिक्षको ने ऐसे वक्त मेँ सहारा दिया जब म.प्र. के हायर सेकेण्डी स्कूल से लेकर प्राथमिक स्कूलो मेँ शिक्षको की भारी कमी थी पूरी पढ़ाई व्यवस्था शिक्षको की कमी के कारण चौपट थी तब सरकार ने प्रदेश के इन शिक्षित योग्य बेरोजगारो को अथिति शिक्षको के रुप मेँ स्कूलो मेँ पढ़ाने के लिए आंमत्रित किया
और इन्हे शिक्षको के समान सम्मान दिया स्कूल के बच्चो का इनसे गुरु शिष्य का रिश्ता बनाया इनको मानदेय दैनिक मजदूरोँ की भाँति प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है लेकिन 2007 से आज तक 2500,3500,4500रूपये के अधिकतम मानदेय पर काम किया इन्होने गरीबी बेरोजगारी और अपनी परिवारिक समस्याऔ के कारण मजबूरी मेँ यह अथिति शिक्षक का पद स्वीकार किया लेकिन अब सरकार इन्हे चार-पाँच वर्ष की सेवा के बाद इन गरीबो का परिवार महिनो रोता है स्कूल के बच्चे अपने प्रिय शिक्षक को खोकर भारी दुखी होते है इनके स्थान पर अनेक स्कूलो मेँ तो दूसरे प्रदेश के लोगो संविदा शिक्षक नियुक्त किया जा रहा है आज इनके हाल ये है कि जिन बच्चो को इन्होने पढ़ाया है कुछ अथिति शिक्षक गरीबी के कारण उन्ही बच्चो के परिवार मेँ मजदूरी करते है जब उनके पढ़ाये बच्चे अपने पिता के कहने पर मासाब को काम बताते है तो इन्हे लगता है कि सरकार ने हमेँ शिक्षक नाम देकर हमारा जीवनभर के लिए अपमान कर दिया इस व्यवस्था से सम्पूर्ण शिक्षक जाति का अपमान हो रहा है ऐसा हाल कभी शिक्षाकर्मियो का भी नही किया गया था जैसा अन्याय अपमान सरकार इन अथिति शिक्षको के साथ कर रही है सरकार से इनकी माँग है कि सरकार हमारी योग्यता की जैसी परीक्षा लेने चाहे ले ले और हमेँ भी अनुदेशको की भाँति अनुभव और योग्यता के अनुसार अध्यापक बनने का अवसर प्रदान करे लेकिन आज तक इनकी जायज माँगोँ को सरकार ने नही मानी म.प्र. अतिथि शिक्षक माँगो को अब पूरी ताकत से उठायेगा।
अतिथि शिक्षक

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