बीजेपी में लालबत्ती की लड़ाई शुरू

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम अभी सामने नहीं आए हैं लेकिन जीत के लिए आश्वस्त बीजेपी के नेताओं में लालबत्ती के लिए घमासान शुरू हो गया है। तीसरी बार सरकार की आस लगाए बैठे भाजपा के संतुष्ट और असंतुष्ट नेता अब अपने एडजस्टमेंट को लेकर सक्रिय हो गए हैं। इन नेताआें की आंखों में अब लाल बत्ती के सपने पल रहे हैं।

उन असंतुष्टों को लाल बत्ती मिलने का पूरा भरोसा हो गया है, जो बागी होकर चुनाव मैदान में आ गए थे, लेकिन संगठन के आश्वासन के बाद नामांकन पत्र वापस लेकर पार्टी के काम में जुट गए थे। ऐसे नेताओं की संख्या दो दर्जन से ज्यादा है। भाजपा के बडे नेता भी दावा कर रहे हैं कि भाजपा तीसरी बार बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। इन नेताओं के बहुमत मिलने के अपनेअ पने तर्क है। इस बीच सरकार बनने की संभावनाआें से पार्टी का एक वर्ग अभी से खुश दिख रहा है और वे अपने भावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। ये वर्ग उन नेताओं का है जो टिकट से वंचित कर दिए गए थे। संगठन ने कई मौजूदा विधायकों के टिकट भी काट दिए थे। इन नेताओं ने टिकट के लिए अपने आकाओं के माध्यम से ऐनवक्त तक तगड़ी दावेदारी की थी। इसमें से कई नेता तो ऐसे भी है जो बागी बनकर अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन तक दाखिल कर दिए थे। संगठन ने इन बागियों की मान मनौव्वल कर उन्हें परचा वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। उस समय इन नेताओं को निगम-मंडल और आयोगों में एडजस्ट करने का आश्वासन भी दिया गया था। अब चुनाव नतीजे मशीनों में बंद हो गए हैं और परिणाम 8 दिसंबर को आना है। इस बीच इन नेताआें ने संगठन और पार्टी नेताओं को उनके पूर्व में किए गए वादे याद दिलाना शुरू कर दिए हैं। इधर बडे नेताओं ने ऐसे लोगों की सूची बनाना शुरू कर दी जिन्हें लाल बत्ती दी जाना है।

इन्हें लाल बत्ती का इंतजार
भोपाल से करीब आधा दर्जन नेता लालबत्ती के इंतजार में है। इनमें जिलाध्यक्ष आलोक शर्मा, प्रदेश कार्यालय मंत्री आलोक संजर, प्रवक्ता प्रकाश मीरचंदानी, चेतन सिंह, तपन भौमिक और भोपाल ग्रामीण के जिलाध्यक्ष भक्तपाल सिंह शामिल है। ये नेता अंतिम समय तक टिकट का इंतजार करते रहे है। आलोक शर्मा का नाम हूजुर से ऐनवक्त पर कट गया था। सूत्र बताते हैं कि पार्टी उन्हें बीडीए में एडजस्ट कर सकती है, क्योंकि यहां के मौजूदा अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ सिंह मध्य भोपाल से चुनाव लड़ रहे हैं। इधर दो विधायक धु्रवनारायण सिंह और जितेंद्र डागा के बारे में फिलहाल असमंजस बताया जा रहा है। वहीं, अनीता नायक, रुस्तम सिंह, ढाल सिंह बिसेन, रामेश्वर शर्मा, मोहन यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं। ये नेता किसी न किसी निगम में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष है। स्वाभाविक है पार्टी अब उनकी जगह किसी ओर को मौका देगी। पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता राजो मालवीय और दीपक विजयवर्गीय को किसी निगम मंडल में एडजस्ट किया जा सकता है। मालवीय पिपरिया से टिकट की दावेदारी कर रही थीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी को पार्टी योजना आयोग भेज सकती है। वे रतलाम से टिकट मांग रहे थे। वे तो नामांकन दाखिल करने भी पहुंच गए थे लेकिन वरिष्ठ नेताओं की मान मनौव्वल के बाद वापस घर आ गए थे। इसके अलावा विदिशा से सुखप्रीत कौर, सीहोर से ललित नागौरी, ग्वालियर से वेदप्रकाश शर्मा, पवई से संजय नगाइच, नरसिंहगढ़ से मनीष शर्मा, बैतूल से अलकेश आर्य, होशंगाबाद से गिरिजाशंकर शर्मा, झाबुआ से यशवंत दरबार, उज्जैन से शिवनारायण मीणा को लाल बत्ती मिल सकती है।

ये रहेंगे नियमित
कुछ निगम अध्यक्ष ऐसे भी है जो टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे, पर उन्हें ऐनवक्त पर टिकट नहीं मिला। अब ऐसे अध्यक्षों का कार्यकाल नियमित हो सकता है। इसमें मप्र ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह सिसोदिया, मप्र नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रमेश शर्मा गुर्टू भैया सहित अन्य अध्यक्ष शामिल है। सिसोदिया कालापीपल और शर्मा उत्तर भोपाल से टिकट मांग रहे थे।

इनका होगा प्रमोशन
सूत्रों पर भरोसा करे तो पार्टी मप्र खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष गोविंद मालू को प्रमोट कर अध्यक्ष बना सकती है। उन्होंने इंदौर तीन से टिकट मांगा था। उनके लिए लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज तक ने लॉबिंग की थी। लेकिन उनकी जगह ऊषा ठाकुर को टिकट मिल गया। इसी सीट से दावेदारी करने वाले गोविंद नेमा को भी लाटरी खुल सकती है।


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