मंदसौर। मंदसौर सदा से ही धर्मिक नगर रहा है। दशपुर नगर यानि की मंदसौर भगवान अष्टमुखी पशुपतिनाथ भगवान कि अद्भुत प्रतिमा के कारण विश्व विख्यात है और मंदसौर में सभी धार्मिक आयोजन पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाये जाते है।
मंदसौर जो कि पहले दशपुर के नाम से जाना जाता था व हमारे वेदो में भी दशपुर नगर का उल्लेख है। जहॉं एक और पूरे भारत वर्ष रावण को बुराई का प्रतिक मानकर दशहरे पर रावण के पुतले दहन का किया जाता है। वही दूसरी ओर मंदसौर में रावण का जमाई मानकर उसकी पूजा, अर्चना कर आरती उतारी जाती है।
मान्यताओ के अनुसार रावण की पत्नी मंदोत्री मंदसौर की थी। मंदसौर नगर के खानपुरा मे लगभग 51 फीट उची रावण की प्रतिमा स्थापित है। प्रत्येक वर्ष दशहरे के दिन सुबह के समय नामदेव समाज द्वारा रावण की पूजा की जाती है तथा उसके बाएं पैर पर लच्छा बांधकर अपने परीवार की सुख समृद्धि की कामना की जाती है। आज भी नामदेव समाज की महिलाएं रावण के मूर्ति के सामने घंूघट पहनकर निकलती है। एक और मान्यता है जिस किसी को भी एक दिन छोड कर बुखार आता है जिसे एकात्रा बुखार भी कहते है अगर पिडित व्यक्ति रावण की प्रतिमा के बाय पांव पर लच्छा बाधने पर बुखार उतार जाता है और पीडा दूर होती है।
पंकज श्रीवास्तव
मंदसौर
