थैंकगॉड मध्यप्रदेश डायबटिक नहीं है

भोपाल। महानगरों में रहने वाली और 30 साल से अधिक उम्र की भारत की 20 प्रतिशत जनसंख्या मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप के खतरे से पीड़ित है। यह खुलासा हाल ही में व्यापक स्तर पर हुए एक सरकारी अध्ययन में किया गया है।

सरकार के कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियों और आघात रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत देश के लगभग 4 करोड़ लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि 6.34 प्रतिशत आबादी मधुमेह से पीड़ित है और 6 प्रतिशत से ज्यादा लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं।

एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट एंड फोर्टिस अस्पताल के कार्यकारी निदेशक और कार्डियोलॉजी के डीन डॉक्टर उपेंद्र कौल ने कहा, ‘जब तक हम कड़े उपाय नहीं करते, तब तक उच्च रक्तचाप और मधुमेह का खतरा ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लेता रहेगा। इनकी वजह से हृदयाघात, मानसिक आघात, गुर्दा संबंधी बीमारी और जल्दी अंधापन हो सकता है। शुरुआती जीवन में ही सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर इन्हें रोका जा सकता है।’

दिल्ली, बेंगलूर, अहमदाबाद, चेन्नई और कामरूप (असम) सहित देश के नगरीय क्षेत्रों में किए गए अध्ययन में पाया गया कि लगभग 11 प्रतिशत लोगों के मधुमेह से पीड़ित होने और 13 प्रतिशत लोगों के उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने का संदेह है। मध्यप्रदेश में मधुमेह के सबसे कम (2.61 प्रतिशत) मामले पाए गए जबकि सिक्किम में मधुमेह पीड़ितों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (13.67) था। सिक्किम में उच्च रक्तचाप का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा (18.16) था।

मधुमेह के मामलों में गुजरात दूसरे नंबर (9.57 प्रतिशत) पर है। इसके बाद कर्नाटक (9.41 प्रतिशत) और फिर पंजाब (9.36 प्रतिशत) रहे।

डॉक्टर कौल का कहना है, ‘उच्च रक्तचाप को ‘मौन हत्यारा’ कहा जाता है क्योंकि इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इसलिए इसकी नियमित निगरानी जरूरी है।’ उच्च रक्तचाप के मामलों में सिक्किम के बाद दिल्ली (13.38 प्रतिशत) है। इसके बाद असम (10.49 प्रतिशत), तमिलनाडु (9.73 प्रतिशत) और पंजाब (9.26 प्रतिशत) हैं। (भाषा)
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