रतनगढ़ हादसे में पीड़ितों को इतना कम मुआवजा क्यों दिया' हाईकोर्ट ने शासन से पूछा

ग्वालियर। एक्टिंग चीफ जस्टिस केके लाहौटी और जस्टिस एस.के. गंगेले की युगलपीठ ने रतनगढ़ मंदिर हादसे दतिया में हताहत श्रद्धालुओं को दिये गये, 1.5 लाख रूपये के मुआवजे को नाकाफी (कम) मानते हुए इस संबंध में दायर तीन अलग-अलग जनहित याचिका पर एक साथ सुनवाई की।

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से 31 अक्टूबर तक जबाब मांगा है, इसके साथ ही कोर्ट ने अब तक की गई जांच और जिम्मेदार लोगों पर की गई कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है। प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता एम.पी.एस. रघुवंशी ने चुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुये, मुआवजे और जांच रिपोर्ट पर जबाब के लिये, कोर्ट से एक माह की मौहलत देने की मांग की जिसे खारिज करते हुये, कोर्ट ने तीन दिन की मौहलत दे दी 31 अक्टूबर तक जबाब देने के लिये कोर्ट ने समय दिया है। 

राज्य शासन की ओर से दो अलग-अलग हलफनामे कोर्ट में पेश किये गये। एक हलफनामे में बताया कि हादसे में 111 लोगों की मौके पर मौत हो गई, 2 गंभीर घायलों वृद्धों की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, इस हादसे में 183 लोग घायल हुये थे, जिन्हें मुआवजा दिया जा चुका है। माननीय न्यायालय ने इसे गंभीर प्रकृति का मामला बताते हुये शीघ्र जबाब देने को कहा है याची पक्ष अधिवक्ता अवधेश भदौरिया ने कोर्ट को बताया कि यू.पी., बिहार में हादसों में मरने वालों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये दिये हैं जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने दतिया रतनगढ़ हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को सिर्फ 1.5 लाख रूपये दिये हैं। घायलों को दी जाने वाली 50 हजार की मदद भी नाकाफी है।


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