राकेश दुबे@प्रतिदिन। अहमदाबाद में आज देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री पद के प्रतिपक्षी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने यह प्रमाणित कर दिया कि आज़ादी के समय देश में मौजूद नेतृत्व जिसमे नेहरु और पटेल सहित अन्य नेता थे वह देश के नायकों की महान पीढ़ी थी और इस बात को भी साफ कर दिया कि इन दोनों में से किसी में भी वे गुण नहीं हैं |
दोनों अपनी- अपनी दलीय मान्यता के आधार पर सरदार पटेल के साथ जुडकर एक दूसरे को कमतर आंकने की प्रतिस्पर्धा करते मालूम हो रहे थे |
इन दोनों से आगे वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने सरदार पटेल पर आयोजित कार्यक्रम के लिए नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया और कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री की मंशा ईमानदार नहीं है और पक्षपाती राजनीतिक एजेंडे के लिए महान नेता के नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है। आनन्द शर्मा ने मोदी पर पटेल की समृद्ध विरासत को ढिठाई से हथियाने का आरोप लगते हुए कहा की यह सब संघ की योजना के तहत हो रहा है |
अब प्रश्न यह है कि हम अपने महापुरुषों को यह सम्मान दे रहे हैं या उनकी उस भावना का अपमान कर रहे है जो व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश मानते थे | यह उनकी प्राथमिकता होती थी | मतभेद सरदार पटेल या नेहरु के मध्य थे या नहीं यह बहस का विषय नहीं होना चाहिए | इसके विपरीत दोनों ने आज के भारत के निर्माण में जो त्याग किया और देश को दिशा दी, उस ओर चलने का प्रयास करना चाहिए | आज इस कार्यक्रम में शामिल और उसमें न शामिल होने वालों में से किसी का भी कद उन नेताओं के समान नहीं है | आईना देखिये हकीकत पता लग जाएगी |