भोपाल। आजादी से लेकर आज तक कांग्रेस एक ही है परंतु इसके रूप हमेशा बदलते रहे हैं। इंदिरा कांग्रेस से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक तमाम कांग्रेस बनी बिगड़ीं परंतु कभी इतनी मजबूत नहीं रहीं जितनी इन दिनों चल रही है 'बेटा कांग्रेस', हालांकि राहुल इसके खिलाफ हैं फिर भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
आम कांग्रेसी को सर्वे के मुताबिक टिकिट देने की राहुल गांधी की योजना का आगामी विधानसभा चुनावों में पलीता लगना तय हो गया है। पांच राज्यों के ज्यादातर कांग्रेसी दिग्गज पुत्रमोह में पड़े हुए हैं और अपने बेटे को टिकिट दिलाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। हालात यह है कि इस मामले में वो राहुल की भी पर्देदारी करने को तैयार नहीं है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के विधानसभा में दर्जनों बड़े नेता अपने बेटे, बहू और बेटियों समेत तमाम रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं। राहुल गांधी ने इस बार भले ही नेताओं की जवाबदेही तय करने की बात कह दी है। मगर बड़े नेता अपने रिश्तेदारों का भविष्य तय करने के लिए कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं।
महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह बड़े नेता भी पुत्र मोह में फंसे हुए हैं। दरअसल, चारों राज्यों के बड़े नेता सबसे ज्यादा अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं। इन नेताओं में से ज्यादातर नेता हैं, जो खुद उम्र भर सरकार और पार्टी में बड़े पदों पर रहे हैं और अब बेटों की कुर्सी पक्की करने में जुट गए हैं।
मसलन मध्य प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया अपने बेटे विक्रांत भूरिया, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह, राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे आलोक चतुर्वेदी, लोकसभा सांसद प्रेम चंद गुड्डू अपने बेटे और सांसद सज्जन वर्मा अपने बेटे अमन वर्मा के लिए टिकट मांग रहे हैं।
इसी तरह राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत, वरिष्ठ कांग्रेस नेता परसराम मदेरणा अपनी बेटी दिव्या मदेरणा और पत्नी लीला मदेरणा, केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला अपने बेटे, बेटी।
विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत अपने बेटे बालेंदु सिंह शेखावत, बलात्कार के आरोपी बाबूलाल नागर अपने बेटे रवि नागर, सांसद महेश जोशी अपने बेटे, गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल अपने बेटे और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही हैं।
उधर छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट वितरण में तरजीह दी गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के बेटे को टिकट दिया गया है।
इसी तरह महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा और विजय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार को भी टिकट दी गई है। विद्याचरण शुक्ला की बेटी को भी टिकट देने की बात है।
वहीं कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा को भी टिकट देने की चर्चा है। वह कई बार चुनाव हार चुके हैं। उधर, दिल्ली में राज्यसभा सांसद परवेज हाशमी खुद और बेटे फरहान हाशमी के लिए टिकट मांग रहे हैं।
पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल अपने बेटे विनय सिंघल, सांसद महाबल मिश्रा अपने बेटे विनय कुमार मिश्रा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ताजदार बाबर अपने बेटे फरहाद सूरी के लिए टिकट मांग रही हैं।