भोपाल। जैसे जैसे चुनाव आयोग के सख्त निर्देश आते जा रहे हैं वैसे वैसे इन नियमों को तोड़ने के रास्ते भी निकलते जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी व्यक्ति के पास 50 हजार से ज्यादा नगदी पाई गई तो उससे कड़ी पूछताछ होगी। ऐसे में संभावित प्रत्याशियों चुनावी लेनदेन के लिए हवाला नेटवर्क का उपयोग करने की तैयारियां कर ली गईं हैं।
2008 के चुनावों में मध्यप्रदेश में नकली नोटों का जबर्दस्त कारोबार हुआ था। इसे देखते हुए मुद्रा माफिया ने इस बार समय से पहले ही नोटों का जखीरा मध्यप्रदेश में भेज दिया है। इतना ही नहीं नकली नोट बनाने के लिए भी उसने अपने इंजीनियर्स मध्यप्रदेश में शिफ्ट कर दिए हैं जो मांग के अनुसार उत्पादन करेंगे एवं पार्टी तक डिवेलरी भी पहुंचाएंगे।
मोटे चुनावी खर्चों में कुछ बचत करने के लिए नकली नोट का विकल्प अच्छा है और इस बार उम्मीद की जा रही है कि नकली नोटों का कारोबार 2008 की तुलना में कहीं ज्यादा होगा। हालांकि सरकारी ऐजेंन्सियों को इसकी खुफिया सूचना मिल गई है परंतु देखना रोचक होगा कि पुलिस का मुखबिर तंत्र इस मामले में कितना सफल होता है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल 80 हजार के भाव से 1000 की गड्डी बुक की जा रही है।
इधर चुनावों में प्रत्याशियों के बेतहाशा खर्चों पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ने कैश ट्रांस्पोटेशन को जांच के दायरे में ले लिया है। पुलिस को निर्देश जारी किए गए हैं कि वो नजर रखे और जो भी व्यक्ति 50 हजार रुपए से ज्यादा नकदी के साथ पाया जाए उसकी रकम जप्त कर पूछताछ की जाए।
प्रत्याशियों ने इस समस्या का हल भी खोल लिया है। अभी हाल ही में यूपी में हुए चुनाव से उन्हांने सबक लिया है एवं अपना पूरा कैश ट्रांस्पोटेशन हवाला के हवाले करने की तैयारियां की जा रहीं हैं। यह एक बेहतर विकल्प है, इससे पुलिस और चुनाव आयोग की तमाम परेशानियां खत्म हो जाएंगी और चुनाव में भरपूर खर्चा किया जा सकेगा।
क्या हुआ था यूपी में
चुनाव आयोग ने यूपी के चुनावों में कैश ट्रांस्पोटेशन पर सख्त पाबंदी लगाई थी। इस दौरान शुरूआत में कई लोगों को पकड़ा गया और करोड़ों रुपए सरकारी ऐजेंन्सियों ने जप्त किए। ये वो काली कमाई थी जिसका हिसाब नहीं दिया जा सका और रकम आज भी सरकारी खजाने में जमा है। संकट में आए प्रत्याशियों ने इसका विकल्प तलाशा और वो था 'हवाला'। अंतिम दौर में यूपी का पूरा चुनाव हवाला नेटवर्क की मदद से ही संचालित हुआ। इसके बाद कोई तकलीफ नहीं हुई और एक बार फिर प्रत्याशियों ने करोड़ों का खर्चा खुलेआम किया।
हवाला नेटवर्क ने शुरू की मार्केटिंग
बस इसी को ध्यान में रखते हुए हवाला नेटवर्क में अपनी मार्केटिंग शुरू कर दी है। वो किसी ना किसी माध्यम से संभावित प्रत्याशियों तक पहुंच रहे हैं और डील फाइनल की जा रही है। हवाला कारोबारियों का अनुमान है कि मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों के दौरान वो कहीं ज्यादा कमा पाएंगे। सनद रहे कि इससे पूर्व हवाला नेटवर्क का उपयोग या तो व्यापारी किया करते थे या फिर काले कारोबारी। मध्यप्रदेश में रिश्वत के लेनदेन के लिए भी प्रशासनिक मशीनरी के हवाला नेटवर्क से जुड़े होने की खबरें बीच बीच में आती रहीं हैं परंतु इस लेनदेन में हवाला माफिया को ज्यादा कमीशन नहीं मिलता था परंतु चुनावों में उम्मीद जताई जा रही है कि रिस्क को ध्यान में रखते हुए कमीशन बढ़ाकर वसूल किया जा सकेगा।
क्या होता है हवाला कारोबार?
हवाला अवैध तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पैसे भेजने का कारोबार है। हवाला के जरिए कोई भी घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने में कितना भी पैसा भेज सकता है। यह गोरखधंधा सफेदपोश क्रिमिनल्स और पूंजीपति की मिलीभगत से चलता है। इसमें ब्लैक मनी को इधर से उधर किया जाता है। इस धंधे को चलाने वाले गिरोह के दुनिया के हर कोने में एजेंट फैले होते हैं। जिसके माध्यम से वे रुपए का लेन-देने करते हैं। मसलन किसी आदमी को काली कमाई का दो करोड़ रुपया भोपाल से दिल्ली भेजना है लेकिन न तो वह पुलिस का रिस्क लेना चाहता है और न दूसरी सरकारी एजेंसियों का। लूटे जाने और चोरी का खतरा भी नहीं उठा सकता। क्योंकि काली कमाई की वजह से वह पुलिस में रिपोर्ट भी नहीं कर सकता। ऐसे में वह हवाला का सहारा लेता है। वो अपने ही शहर में 1000 या 500 की गड्डी में दो करोड़ रुपए हवाला एजेंट के यहां जमा कर देता है। इसके बाद एजेंट उन्हें कोड नम्बर दे देते हैं। इस नम्बर को दिल्ली में उनके आदमी को बताना होता है। जिसके बाद कस्टमर के आदमी को वहां पर फौरन पेमेंट कर दिया जाता है। पेमेंट कराने की पूरी जिम्मेदारी हवाला कारोबारी होती है। इस सर्विस के बदले रकम का एक हिस्सा हवाला एजेंट को चुकाना पड़ता है।