भोपाल। 71 हजार करोड़ के कर्ज में दबे मध्यप्रदेश पर दो महीने के भीतर 1500 करोड़ का कर्जा और चढ़ गया। शिवराज सरकार ने सितम्बर में 500 तो अक्टूबर में 1000 करोड़ का लोन उठाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यप्रदेश की अगली सरकार पहले से ज्यादा टेक्स लगाकर लोन चुकाएगी।
पिछली बीस सितम्बर को रिजर्व बैंक के माध्यम से सरकारी सिक्युरिटीज के माध्यम से पांच सौ करोड़ रुपये का ऋण बाजार से लेने वाली शिवराज सरकार ने फिर अब एक हजार करोड़ रुपये का गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज के माध्यम से बाजार से ऋण उठाया है।
इस नये एक हजार करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान 9 अक्टूबर 2023 को किया जायेगा तथा इस पर हर साल 9 अप्रैल एवं 9 अक्टूबर को वार्षिक कूपन रेट ब्याज का भुगतान किया जायेगा।
ज्ञातव्य है कि ऐन विधानसभा आम चुनावों के समय प्रदेश की शिवराज सरकार ने गत बीस सितम्बर को बाजार से 500 करोड़ रुपये का ऋण उठाया था। पहले से ही 71 हजार करोड़ रुपयों के कर्ज से लदी राज्य की भाजपा सरकार ने रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के मुम्बई आफिस से दस हजार प्रति सिक्युरिटी के हिसाब से यह पांच सौ करोड़ रुपये की राशि बाजार से उठाई थी।
नये एक हजार करोड़ रुपये के कर्ज को लेने के लिये राज्य सरकार ने फिर वर्ष 2012-13 के बजटीय आंकड़ों का सहारा लिया है तथा राजस्व प्राप्तियों को राजस्व व्यय से अधिक बताया है। इससे पहले राज्य सरकार ने 18 जनवरी 2013, 14 फरवरी 2013 तथा 26 जुलाई 2013 को भी एक-एक हजार करोड़ रुपये की गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर बाजार से कर्ज उठाया था तथा फिर 20 सितम्बर 2013 को और अब एक हजार करोड़ रुपये का नया कर्ज लिया है।