
म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि संविदा कर्मचारियों ने जंजीरों में जकड़कर इसलिए प्रदर्शन किया क्योंकि संविदा नौकरी, नौकरी नहीं गुलामी है, सरकार में बैठे अधिकारी बेरोजगारी का फायदा उठाकर चतुर्थ, तृतीय, द्वितिय श्रेणी के पदों पर संविदा पर भर्ती कर रहे है। संविदा पर रखकर संविदा पर कर्मचारियों का शोषण किया जाता है, उनको गुलाम बनाकर रखा जाता है । संविदा कर्मचारियों को काम करते - करते दस से पन्द्रह वर्ष हो गये हैं, संविदा कर्मचारी ओवर एज हो गये हैं, संविदा कर्मचारी नियिमित कर्मचारी से दुगना कार्य करते हैं, और सुविधाएं नियमित कर्मचारियों से आधी मिलती हैं ।
संविदा कर्मचारियों को गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाष, अनुकम्पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ़ने वाला मंहगाई भत्ता, समयमान वेतनमान, पदोन्नति नहीं दी जाती । मांगने पर कहा जाता है कि आप संविदा पर हो । संविदा पर होने का तात्पर्य यह नहीं होता कि संविदा कर्मचारी गुलाम है उसे वेतन और भत्ते और सुविधाएं नहीं दी सकती हैं। यहां के संविदा शर्ते निर्धारित करने वाले अधिकारियों की मानसिकता अंग्रेजी हुकूमत के समान है । वे खुद तो नियमित हैं और सारी सुविधाएं लेते हैं लेकिन जब संविदा कर्मचारी समान सुविधाओं की मांग करता है तो उसे यह कह कर सुविधाएं नहीं दी जाती कि आप संविदा पर हो । ये यहां के अधिकारियों की दोहरी नीति है ।
प्रदर्षन पर उपस्थित संविदा कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार से मांग की कि आई.ए. एस. अधिकारियों के पदों पर भी भर्ती संविदा से की जाए जिससे पुरे राष्ट्र में एक समान कर्मचारी हों। म.प्र. सरकार संविदा षिक्षकों को तीन वर्ष बाद नियमित कर देती है लेकिन संविदा कर्मचारी पन्द्रह वर्ष भी कार्य कर ले तो उसको नियमित नहीं करती है। ये अन्याय है । महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान से म.प्र. के संविदा कर्मचारियों को बड़ी उम्मीद थी, और उनके कथन पर विष्वास था कि ’’ कि कोई कर्मचारी संगठन आंदोलन नहीं करे वो मेरे पास आए और मैं बिना आंदोलन के उनकी मांगे पुरी करूंगा ‘‘ इस कथन पर दो लाख संविदा कर्मचारी विष्वास करते रहे और संविदा कर्मचारियों ने हड़ताल नहीं की । लेकिन 10 सितम्बर को अंतिम कैबीनेट है और संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है इससे म.प्र. के दो लाख संविदा कर्मचारी निराष और हताष हैं ।
म.प्र. सरकार जिसके मुखिया षिवराज सिंह चैहान हैं ने संविदा कर्मचारियों को नियमित तो किया नहीं बल्कि शासन में बैठे उनके उच्च अधिकारियों ने मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क सड़क योजना के 110 तकनीकी सहायकों, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन के बैतुल, ग्वालियर, नरसिंहपुर के जिला कार्यक्रम प्रबंधकों एवं सर्वषिक्षा अभियान में बड़वानी जिले के छः इंजीनियरों की सेवाएं बिना किसी कारण के समाप्त कर दी । महासंघ ने हटाए गए संविदा कर्मचारियों की बहाली के लिए लगातार ज्ञापन दिये लेकिन सरकार की और से आष्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला और हटाए गये संविदा कर्मचारियों की बहाली अभी तक नहीं हुई। म.प्र. के संविदा कर्मचारी जो कि विधिवत्, भर्ती प्रक्रिया, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार, के बाद सक्षम प्राधिकारियों के द्वारा नियुक्त हुयें हैं उनको नियमित नहीं कर रही है । दूसरी तरफ बिना किसी भर्ती प्रक्रिया के नियुक्त षिक्षाकर्मियों, पंचायत कर्मियों, गुरूजियों जिनकी नियुक्ति संरपचों, ग्राम समुदायों के द्वारा की गई थी, उनका मानदेय केन्द्र सरकार की परियोजनाओं से प्राप्त धनराषि से मिलता था, ऐसे षिक्षाकर्मियों, पंचायत कर्मियों, गुरूजियों को सरकार ने कैबिनेट में पदों का निर्माण कर नियमित दिया । म.प्र. सरकार के विभिन्न विभागों में 70 हजार पद रिक्त पड़े हैं, सरकार उन पर नई भर्ती कर रही है, नई भर्ती की बजाए म.प्र. सरकार चाहे तो उन पदों पर संविदा कर्मचारियों को नियमित कर सकती है ।
यह है संविदा कर्मचारियों शोषण:
(1) संविदा कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है । (2) हर साल संविदा बढ़ती है, संविदा बढ़ाने वाले अधिकारी ब्लेक मेल करते हैं अनेक जिलों में संविदा कर्मचारियों को संविदा बढ़वाने के लिए एक - एक माह का वेतन तक देना पड़ता है । (3) संविदा कर्मचारी मर जाए तो विभाग की और से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती संविदा कर्मचारी आपस में चंदा करके उसकी अंन्त्येष्टी करते हैं (4) संविदा कर्मचारियों को जब चाहे हटा दिया जाता है, हटाते वक्त उसको अपना पक्ष रखने का अवसर तक नहीं दिया जाता (5) बुढ़ापे तक एक ही पद पर कार्य करते हैं किसी प्रकार की पदोन्नति, समयमान वेतनमान, नहीं दिया जाता । (6) केन्द्र सरकार से मिलने वाला पैसा भेले ही लैप्स हो जाए पर गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अर्जित अवकाष, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया नहीं दिया जाता । इसलिए म.प्र. के संविदा कर्मचारियों ने आंदोलन का निर्णय लिया है ।
स्ंाविदा कर्मचारियों की मांगे हैं:-
(1) म.प्र. के सभी विभागों एवं परियोजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को शीध्र नियमित किया जाए।
(2) नई सीधी भर्ती बंद कर उन पदों पर सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए ।
(3) जिन विभागों में संविदा कर्मचारियों को हटाया गया है जैसे मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क सड़क योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन, सर्वषिक्षा अभियान में, उन संविदा कर्मचारियों की तत्काल बहाली की जाए । और जब तक संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जाता तब तक किसी भी संविदा कर्मचारी को हटाया नहीं जाए ।
(4) संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की भांति, गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाष, अनुकम्पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ़ने वाला मंहगाई भत्ता दिया जाए ।
सत्याग्रह निम्नलिखित विभागों के कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया, संविदा कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रमेष सिंह, संभागीय अध्यक्ष अरूणेन्द्र प्रताप सिंह, प्रवक्ता मुकेष दुबे, म.प्र. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राहुल जैन, मनरेगा कर्मचारी/अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रषांत तिवारी, निलेष जैन, मनरेगा अभियन्ता संघ के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह, महामंत्री देवेन्द्र उपाध्याय, भोज विष्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष अनूप कुमार बुदेला, प्रषांत सोलंकी, टी.बी. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विजय ठक्कर, अमित नेगी, राकेष मिश्रा, रवीन्द्र श्रीवास्तव, प्रषांत आर्य, पवन पाल, समग्र स्वच्छता अभियान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राकेष प्रताप सिंह, सचिव सुषील दोराहा, एड्स कंट्रोल कर्मचारी संघ के राजेष रजक, पैरामेडिकल कर्मचारी संघ के सचिव राजकुमार शर्मा, शहरी विकास अभिकरण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हीरेन्द्र सिंह, जलग्रहण मिषन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमित कुल्हार, कृषि मृदा विषेषज्ञ कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंषी, श्रम कल्याण मण्डल एंव भवन निर्माण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्रपाल सिंह राजपूत, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवध कुमार गर्ग, पी. सालू नायर, औंकालेष्वर परियोजना के अभिलाष शुक्ला, महिला बाल विकास विभाग संविदा पर्यवेक्षक संघ की अध्यक्ष नाहिद खान, उदय प्रोजेक्ट के संकल्प भटनागर, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अभिषेक चैकसे, म.प्र. माध्यम के अमित शर्मा आदिम जाति कल्याण कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष मालवीय, म.प्र. पी.एच.ई. संविदा हैण्डपम्प टैक्निषियन संघ के अध्यक्ष उमाषंकर लांजेवार, महामंत्री संदीप खरे, ,म.प्र. भोज विष्वविघालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनूप सिंह बुदेला, मदरसा बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुकेष शर्मा, माध्यमिक षिक्षा मण्डल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अवधेष दीक्षित , खेल एवं युवक कल्याण विभाग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष साहू, सचिव योगेष सिंह महामंत्री लक्ष्मण सिंह, प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सचिव कमल निराला आदि उपस्थित थे। सत्याग्रह का समर्थन करते हुये,म.प्र. मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक, म.प्र. कर्मचारी कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र खोंगल, निगम मण्डल कर्मचारी अधिकारी समन्वय महासंघ के प्रांताध्यक्ष अजय श्रीवास्तव नीलू, अपाक्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भुवनेष कुमार पटेल, लघुवेतन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष निहाल सिंह जाट,म.प्र. वन कर्मचारी संघ के महामंत्री आमोद तिवारी,म.प्र शास. वाहन चालक कर्मचारी संघ के प्राताध्यक्ष साबीर खान, म.प्र. डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएषन के महामंत्री आर.के.एस. तौमर, जी.पी.एस चैहान, पषुचिकित्सा क्षेत्र. अधि. संघ के प्रान्ताध्यक्ष आर.पी. उपाध्याय, लिपिक वर्ग के कर्मचारी नेता उमाषंकर तिवारी, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अजीज खान, म.प्र. के अनेक कर्मचारी संगठनों के अध्यक्षों ने धरने को सम्बोधित किया ।
(रमेष राठौर)
प्रदेष अध्यक्ष
मो. न. 9425004231