मौत से ज्यादा मुश्किल है इस गांव में जिंदगी

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आशीष खन्ना/शुजालपुर(8109210821)। 12सौ की आबादी वाले ग्राम बेगमखेडी से बाहर जाने के लिए कोई पहुंचमार्ग नहीं है। बच्चे नदी पार करके स्कूल जाते हैं और मरीजों को खटिया पर उठाकर ले जाना पड़ता है। मध्यप्रदेश के इस गांव में जिंदगी कितनी मुश्किल है इसका अहसास मात्र कंपकंपी ला देता है।

गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए एम्बूलेंस बुलवाई जाती है तो वो वहां से आती है परंतु 5 किलोमीटर दूर ही खड़ी हो जाती है। मरीज को 5 किलोमीटर तक कंधो पर लादकर ले जाना पड़ता है।

इलाज के आभाव में दर्जनों लोगों की रास्ते में ही मौत हो जाती है। इस मामलें ग्रामीणो का गुस्सा प्रशासन के दोगले पन को लेकर फुट चुका है क्या नेता और क्या प्रशासन सभी से इन गांव वालों का दिल भर चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि सभी दल के नेता मात्र चुनाव के समय ही हमारे गांव में आते है फिर अगले पांच साल बाद ही मुंह दिखाते है। मगर इस बार हमने निर्णय कर लिया है कि इस बार किसी भी नेता को गांव में नही घुसने देंगे।

ग्राम बेगम खेडी में हाईस्कुल ना होने के कारण लगभग 50 छात्राओं को नदी पार करके गिले होते हुए अन्य गावं के स्कुलों में पढाई के लिए जाना होता है। इन छात्राओं को ये भी पता नही होता है कि हम शाम को सुरक्षित घर भी पहुंचेगी। छात्राएं शिवराज मामा के द्वारा सायकल देने की बात तो कहती है लेकिन रोड ना होने के कारण उसे चलायें कहां पर ये भी कहती है।

बच्चों का आधा समय तो नदी पार करने में और आधा समय स्कुल पहॅुचकर कपडों को सुखाने में ही व्यतीत हो जाता है। स्कूल के शिक्षक भी किताबी ज्ञान ना देते हुए सावधानी से नदी पार करने का पाठ ही पढाते है ऐसे में इस गाव के लगभग 100 बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आता है और हमारे प्रदेश के मुखिया आश्वासन के अलाव और कुछ नही दे पाये जहां प्रदेश के मुखिया 108 एम्बुलेन्स, जननी सुरक्षा योजना, अच्छी षिक्षा, छात्राओं को सायकल आदि योजनाएं इस गांव में रोड ना होने के कारण किसी काम कि नही है ।

इस मामले में जब शुजालपुर एस.डी.एम हिन्दुसिंह चुडावत से बात कि गई तो उन्होने गैर जिम्मेदारना जबाब देते हुए कहा कि उस गांव में रोंड क्यों नही है इसको दिखवाते है और बच्चे नदी पार कर क्यों स्कुल जाते है और इसको भी दिखवाया जायेगा और उनकी समस्या को हल किया जायेगा । लेकिन ये आष्वासन तों नेता और अधिकारी पिछले 10 सालों से देते आ रहे है और आष्वासन से ही अपने कार्य की इतिश्री करते आ रहे है ।

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