12 सौ करोड़ की जमीन से आसाराम का अवैध कब्जा हटाया

भोपाल/रतलाम। यौन शोषण के आरोपों में उलझे आशाराम के आश्रमों से जुड़ी जमीनों के सत्यापन की कार्रवाई शुरू हो गई है। शासन-प्रशासन को जानकारी मिली थीं कि आसाराम के समर्थकों ने कई स्थानों पर जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है।

मप्र के रतलाम प्रशासन ने ऐसी ही विवादित जमीन की नाप जोख की है। साथ ही जमीन पर उगाई गई सोयाबीन की फसल काटने के लिए एक व्यक्ति को अधिकृत कर दिया है। प्रशासन ने जमीन का कब्जा ले लिया है। जयंत विटािंमस लिमिटेड (जेवीएल) परिसर स्थित मांगल्य मंदिर व उससे जुड़ी जमीन पर आशाराम के समर्थकों का कब्जा बताया जा रहा है।

इस विवादित संपत्ति की कीमत करीब 12 सौ करोड़ मानी जा रही है। मांगल्य मंदिर व उससे जुड़ी 21 हेक्टेयर जमीन पर सालों से आशाराम समर्थकों की श्री योग वेदांत समिति खेती कर रही है। बापू के यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसने के बाद प्रशासन पर जेवीएल की जमीन कब्जे में लेने का दबाव बढ़ गया। इसके चलते रतलाम प्रशासन ने जमीन की नपती करवाई। यहां उगाई सोयाबीन की देखरेख व कटाई का जिम्मा प्रशासन ने एक व्यक्ति को सौंप दिया है।

जेवीएल (नीलाम जमीन भी शामिल) की जमीन, मांगल्य मंदिर व इससे जुड़ी जमीन का पंचनामा बनाकर कब्जे में ले ली। कब्जे वाली भूमि की फसल अब खरीदार काटेंगे। उद्योग व मंदिर की जमीन की फसल प्रशासन कटवाएगा। गौरतलब है कि र्सािबटोल बनाने वाली जेवीएल १९९७ में अचानक बंद कर दी गई। इसके मांगल्य मंदिर व जुड़ी २१ हेक्टेयर जमीन २०११ में ११ दिन के लिए श्री योग वेदांत सत्संग समिति ने एक हजार रुपए रोज पर किराये पर ली। इसके बाद आशाराम व बेटे नारायण सार्इं का यहां दखल बढ़ गया। 

उन्होंने मांगल्य मंदिर व वागेश्वरी धाम ट्रस्ट का ट्रस्टी बताते हुए यहां अधिकार जमा लिया। तब से राजीव ओझा सहित अन्य श्रमिक नेता जमीन मुक्त करवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। ओझा के मुताबिक अब तक की जांच में किसी ट्रस्ट के अस्तित्व के प्रमाण नहीं मिले। मंदिर श्रमिकों के लिए बना था इसलिए मंदिर व जुड़ी जमीन श्रमिकों की है।

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