राकेश दुबे@प्रतिदिन। कांग्रेस में लगभग यह तय हो गया है कि मध्यप्रदेश में चुनाव जीतने के लिए सिंधिया परिवार का चेहरा जरूरी है| भाजपा को इस विषय पर कुछ ज्यादा करना नहीं है, प्रदेश के भाजपा नेताओं का मानना है कि शिवराज सिंह, सिंधिया सहित पूरी कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे|
शायद दोनों ही ओर कुछ-कुछ आत्ममुग्धता का दौर है| ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे कर कांग्रेस ग्वालियर संभाग में अपनी बिगड़ी स्थिति को संभाल सकती है और सिंधिया परिवार के नजदीक समझे जाने वाली कुछ विधान सभा सीटों पर भी कुछ चमत्कार दिखा सकती है | इस बार कांग्रेस को यह भी नहीं भूलना चाहिए उनके अपने घर में सब अपनी ऊंचाई ज्योतिरादित्य से कम नहीं आंक रहे हैं | चाहे भूरिया हो, चाहे दिग्विजय ,अजय सिंह या सुरेश पचौरी सबकी कोशिश चुनाव तक कुछ और चुनाव के बाद के मंसूबे अलग हैं |
भारतीय जनता पार्टी में भी कमोबेश यही हाल है | शिवराजसिंह की तारीफ करने वाले उनके ही कबीना मंत्रियों का एक समूह प्रदेश में भाजपा को तो जिताना चाहता है परन्तु पुरुस्कार वितरण समारोह की पंक्ति में वे शिवराज सिंह से आगे लगना चाहते हैं | इसमें नरेंद्र मोदी फैक्टर भी कम काम नहीं कर रहा है | गुजरात से लगे प्रदेश के जिलों में भाजपा के वैचारिक सोच समर्थक सामाजिक सन्गठन गुजरात और नरेंद्र मोदी के प्रचार में लग गए हैं |बदले में प्रदेश के एक मंत्री जिनका गुजरात में सतत सम्पर्क है कि सिफारिश पर ये सन्गठन उपकृत भी किये गये है |
चुनाव ज्यादा दूर नहीं है, पर परिणाम की तस्वीर टिकट वितरण के बाद समझ आएगी | टिकट वितरण में राजा, महाराजा , जाति के दबाव और पिछले चुनाव की तरह नुरंकुश्ती में बंटे टिकट महत्वपूर्ण कारक रहेंगे | मध्यप्रदेश,और राजस्थान में भले ही सिंधिया परिवार अलग-अलग कैम्पों में हो उनके हित में दोनों दल समान रूप से झुकते है | साख शिवराज और सिंधिया दोनों की लगेगी और खतरे दोनों को हैं |
