छिंदवाडा/कैलाश विश्वकर्मा। कई दिनों से इंतजार कर रहे बेचारे अतिथि शिक्षक इस उम्मीद से लगातार स्कूलों में संविदा शिक्षक से भी आधी पगार पर काम रहे की चुनाव के पहले मुख्यमंत्री कोई न कोई घोषणा करेंगे और हम संविदा शिक्षक बन जायेंगे किन्तु मुख्यमंत्री को इनकी चिंता तक नहीं है अतिथि शिक्षक ठीक वैसी ही मासूम निगाहों से देख रहे है जैसे कोई बालक अपनी मॉ की ओर ताकता है अतिथि शिक्षक कतार में हैं, आखों में उम्मीद लिए कड़ी तपस्या कर रहे हैं।
बेचारे अतिथि शिक्षक की कोई यूनियन नहीं है, वो आंदोलन का विचार बनाते भी है तो प्राचार्य उन्हें पैनल से बाहर कर सकते है क्योकि उनका कोई अस्तित्व नहीं है। उन्हें सरकार उपयोग करती है और डिस्पोजल की तरह फेंक देती है, वे दया के पात्र हैं और करुणा भरी निगाहों से हर रोज अखबारों में केवल एक ही खबर देखते हैं कि कब सरकार अतिथि शिक्षक भर्ती परीक्षा की घोषणा करेगी।
अतिथि शिक्षक संगठित नहीं है, इसलिए आवाज नहीं उठा सकते, विधानसभा में भी शायद ही कोई उनकी बात रखने का प्रयास करे। मात्र आठ माह की अस्थाई नौकरी के लिए भी सरकार का आभार जता रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओपचारिकेत्तर, गुरूजी को जब संविदा बना दिया तो अब अतिथि शिक्षक को भी संविदा शिक्षक बना दिया जाये इस आशा से अतिथि शिक्षक मासूम निगाहों से देख रहे है।